बीजिंग : कुछ दिनों पहले चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र के 19 देशों के साथ एक मीटिंग की थी। विदेश मंत्रालय ने चाइना इंटरनेशनल डेवलपमेंट को-ऑपरेशन एजेंसी की इस बैठक का आयोजन किया था। इस मीटिंग में हिंद महासागर क्षेत्र के 19 देश शामिल थे लेकिन भारत इससे बाहर रखा गया था। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि भारत को इस मीटिंग में आमंत्रित नहीं किया गया था। चीन ने एक बयान जारी करते हुए इन खबरों को खारिज किया है। उसने दावा किया है कि बैठक में शामिल होने के लिए भारत को आमंत्रित किया गया था। भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता वांग शिजियान ने ट्विटर पर चीन के बयान को साझा किया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'चाइना-इंडिया ओशन रीजन फोरम ऑन डेवलेपमेंट पर CIDCA ने कहा कि भारत क्षेत्र में एक प्रमुख देश है। जहिर है कि हमने भारत को आमंत्रित किया था। क्षेत्र के विकास और दीर्घकालिक समृद्धि के लिए चीन भारत और अन्य देशों के साथ अपने सहयोग को लेकर खुला और और सकारात्मक है।' किन देशों ने लिया हिस्सा? चीन की इस बैठक में इंडोनेशिया, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान, ईरान, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, मोजाम्बिक, तंजानिया, सेशल्स, मेडागास्कर, मॉरीशस, जिबूती सहित 19 देशों और तीन अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। ऑस्ट्रेलिया और मालदीव ने इस बैठक में हिस्सा लेने की खबरों की खंडन किया है। चीन क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। वह क्षेत्रीय बंदरगाहों पर पैसा पानी की तरह बहा रहा है। पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में चीन बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर खड़े कर चुका है। भारत के प्रभाव से चीन का मुकाबला पूर्वी अफ्रीका के जिबूती में चीन ने नेवी बेस तैयार कर लिया है तो वहीं श्रीलंका के हंबनटोटा को भी 99 साल के लिए लीज लिया है। 19 देशों को बुलाकर बैठक करने के पीछे चीन का सबसे बड़ा मकसद क्षेत्र में भारत के प्रभाव से मुकाबला करना है। भारत की तरफ से हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) को संचालित किया जा रहा है। इस संगठन में 23 देश सदस्य हैं। यही वजह से चीन ने भारत को इससे दूर रखा लेकिन अपने बयान में वह इन खबरों को खारिज कर रहा है।
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