Tuesday 29 November 2022

JRD टाटा पर मंडरा रहा था मौत का साया, पिता की सलाह पर छोड़ी फ्रांसीसी फौज की नौकरी

रांची/जमशेदपुर: टाटा ग्रुप के सबसे युवा चेयरमैन, युगदृष्टा उद्योगपति, नागरिक उड्डयन के पितामह , भारत रत्न जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा की आज 29 नवंबर को पुण्यतिथि है। ने निधन से बहुत पहले एक ऐसा जीवन जीया था, जिसमें उन्हें कई बड़ी कामयाबी हासिल मिली। एक किशोर के रूप में जेआरडी को फ्रांस से प्यार था और उड़ान भरना किसी भी चीज से ज्यादा पंसद था। जब उन्होंने अपने जीवन के पतझड़ में कदम रखा, तब उन्होंने लगभग 50 साल एक अद्वितीय व्यापारिक समूह को परिभाषित करने और भारतवासियों के हितों की हिमायत करने के लिए समर्पित कर दिया। उनके पिता के एक फैसले से युवा अवस्था में उनकी जान बच गई थी। फ्रांसीसी सेना की नौकरी छोड़ने के बाद जेआरडी के रजिमेंट का हो गया था खात्मा जेआरडी, चार बच्चों में से दूसरे नंबर पर थे। उनकी शिक्षा फ्रांस में हुई, जहां फ्रांसीसी सेना में अनिवार्य रूप से एक वर्ष की अवधि के लिए शामिल होना था। जेआरडी फ्रांस की सेना में अपने कार्यकाल को बढ़ाना चाहते थे। वे एक प्रसिद्ध घुड़सवारी स्कूल में भाग लेने के लिए मौका पाना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने ऐसा नहीं करने दिया। फ्रांसीसी सेना को छोड़ने कसे जेआरडी की जान बच गई, क्योंकि इसके तुरंत बाद मोरक्को में एक अभियान के दौरान जिस रेजिमेंट में उन्होंने सेवा दी थी, उसका खात्मा हो गया था। अवैतनिक प्रशिक्षु के रूप में टाटा में शामिल हुए जेआरडी ने तब कैम्ब्रिज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने का मन बनाया, लेकिन आरडी टाटा ने अपने बेटे को भारत वापस बुला लिया। उन्होंने जल्द ही खुद को एक ऐसे देश में एक व्यावसायिक कैरियर की दहलीज पर पाया, जिससे वे परिचित नहीं थे। जेआरडी दिसंबर 1925 में एक अवैतनिक प्रशिक्षु के रूप में टाटा में शामिल हुए। बिजनेस में उनके गुरु जॉन पीटरसन भी समूह में शामिल हुए। जॉन पीटरसन एक स्कॉट्समैन थे और भारतीय सिविल सर्विस में सेवा प्रदान करने के बाद समूह में शामिल हुए थे। 22 साल की उम्र में पिता के निधन के बाद जेआरडी समूह की प्रमुख कंपनी टाटा संस के बोर्ड में शामिल हुए। 1929 में, 25 वर्ष की आयु में उन्होंने भारत को अपनाने के लिए अपनी फ्रांसीसी नागरिकता का त्याग कर दिया। टाटा केमिकल्स, और एयर इंडिया की स्थापना की एक बिजनेस लीडर के रूप में जेआरडी ने अपने जीवनकाल में कई उपलब्धियां हासिल की। 1938 में जेआरडी की चेयरमैन के रूप नियुक्ति के बाद का दशक टाटा समूह के लिए सबसे रचनात्मक वर्षाें में एक था। जनवरी 1939 में टाटा केमिकल्स को लांच किया गया था। 1945 में टेल्को की स्थापना हुई। 1948 में एयर इंडिया इंटरनेशनल ने विदेशों में अपने पंख फैलाए। जेआरडी के कार्यकाल में समूह की 14 कंपनियां बढ़कर 95 हुई जब जेआरडी ने चेयरमैन के रूप में पदभार संभाला, तो समूह में 14 कंपनियां थीं। बड़ी फर्माें के विस्तर पर सरकार की ओर से लगाए गए सभी प्रतिबंधों के बावजूद जब 52साल बाद कार्यालय छोड़ा, तो 95 कंपनियां थी। वहीं कारोबार 17 करोड़ रुपये से बढ़कर अनुमानित 10 हजार करोड़ रुपये हो गया था। प्रतिभा के धनी के साथ ही एक ट्रेलब्लेजर जेआरडी टाटा को हर कोई उस व्यक्ति के रूप में जानता है, जिन्होंने 50 वर्षाें तक टाटा समूह का नेतृत्व किया। इसके विकास की कल्पना और मार्गदर्शन किया। उन्हें भारतीय विमानन के जनक और टाटा समूह के चेयरमैन के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय महत्व के परोपकारी और शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना करने वाले व्यक्ति के रूप में जानते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते है कि जेआरडी ने अपने पेशेवर और परोपकारी प्रयासों के अलावा भी एक समृद्ध जीवन व्यतीत किया। युवावस्था में एक भावुक और विपुल पत्र लेखक, एक टिंकरर, जो अपने हाथों से चीजों को बनाना पसंद करते थे। एक फिटनेस और खेल प्रेमी, जिन्होंने अपनी सीमाओं से परे जाकर काम किया। अंग्रेजी से बेहतर फ्रेंच बोलते थे जेआरडी के बारे में कहा जाता है कि वह अंग्रेजी से बेहतर फ्रेंच बोलते थे और दोनों किसी भी भारतीय भाषा से बेहतर बोलते थे।


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