Tuesday, 22 November 2022

जिस नेता ने खड़ी की थी मुश्किल, उसी के सिर पर रख दिया हाथ... मुलायम का किस्सा, जब विरोधी को ही बना दिया था MLC

एटा: पिछले महीने दुनिया से विदा हो गए () के जीवन में 22 नवंबर की आज की तारीख की अहमियत थी। इसी दिन उनका जन्म हुआ था। आज वह जीवित होते तो 83 साल की आयु पूरी कर चुके होते। नेताजी के नाम से पहचाने जाने वाले मुलायम ने प्रदेश के साथ ही देश की राजनीति पर भी अपनी छाप छोड़ी। पांच दशक से भी लंबे राजनीतिक जीवन में मुलायम से जुड़े ऐसे कई किस्से रहे, जो यह साबित करने के लिए काफी रहे कि उन्हें धरतीपुत्र क्यों कहा जाता था। मुलायम के जीवन से जुड़ा ऐसा ही एक किस्सा है, जो दुश्मनों को भी अपना बना लेने की कला की गवाही देता है। समाजवादी पार्टी का गठन करने के बाद 1993 में मुलायम विधानसभा चुनाव लड़ने उतरे। उनके सामने बीजेपी के उम्मीदवार थे, जिन्होंने आसान नजर आ रही जीत को कठिन बना दिया था। बहरहाल, मुलायम वह चुनाव जीत गए। और फिर एक समय ऐसा भी आया कि अपने उसी विरोधी को मुलायम ने MLC बना दिया। एटा की निधौली कलां (परिसीमन के बाद मारहरा) सीट से चुनावी मैदान में उतरे मुलायम सिंह को बीजेपी के से जोरदार टक्कर मिली। राम मंदिर मुद्दे की लहर और लोधी बाहुल्य सीट होने की वजह से बीजेपी के टिकट पर लड़ रहे कैंडिडेट की स्थिति मजबूत नजर आ रही थी। वर्मा जोरदार तरीके से चुनाव लड़े। मुलायम को कड़ी मेहनत करनी पड़ी और वह जीत गए। इस चुनाव के बाद ही सुधाकर वर्मा मुलायम के राजनीतिक विरोधियों में शुमार हो गए थे। लेकिन ऐसा भी नहीं रहा कि कोई निजी दुश्मनी ठान ली गई हो। मुलायम लखनऊ में आने पर सुधाकर को मिलने के लिए भी बुलाया करते थे। राजनीति का एक समय ऐसा आया जब सुधाकर ने कद्दावर नेता और पूर्व सीएम कल्याण सिंह के साथ बीजेपी छोड़ दिया। कल्याण ने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया और मुलायम के साथ नजदीकियां बढ़ती रही। 2003 का समय था, जब मुलायम सीएम की कुर्सी पर बैठे थे। विधान परिषद सीट के लिए चुनाव का समय आया, तब एटा-मैनपुरी-मथुरा की दो सदस्यों वाली सीट पर कल्याण ने मुलायम से सिफारिश की। मुलायम ने सुधाकर वर्मा के लिए एक सीट छोड़ दी, जबकि दूसरी सीट पर अवधेश यादल एमएलसी चुने गए।


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