Thursday 24 November 2022

'ऐसी सास की बातें क्यों सुने, जिसने जनतंत्र की हत्या की', जब बिहार विधानसभा में गुस्से में गरजे CM

पटना : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की आगामी 24 जनवरी को जयंती है। 24 जनवरी, 1924 को समस्तीपुर के गांव पितौझिया में जन्मे कर्पूरी ठाकुर सियासत में समाजवाद के प्रबल समर्थक रहे। मुख्यमंत्री रहते कर्पूरी ठाकुर जब बिहार विधानसभा में लोकहित के मुद्दों को लेकर बोलते थे। सबकी बोलती बंद हो जाती थी। बिहार विधानसभा में 5 जुलाई 1977 को कार्यवाही चल रही थी। उसी दौरान सदन के सदस्यों ने कई सवाल किये। जिसका जवाब मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने दिया। बिहार विधान परिषद की ओर से 2014 में प्रकाशित पत्रिका 'साक्ष्य' में सदन की उस दिन की कार्यवाही दी गई है। उस दिन विधानसभा सदस्य राम लखन सिंह यादव तंज भरे अंदाज में मुख्यमंत्री को कहते हैं कि मैंने कभी नहीं कहा कि आप दुल्हन हैं और हमलोग सास हैं। विधानसभा में गरजे कर्पूरी ठाकुरअध्यक्ष की अनुमति के बाद मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर राम लखन सिंह यादव के सवाल का जवाब देने खड़े होते हैं। मुख्यमंत्री कहते हैं कि अध्यक्ष महोदय कार्यवाही आप पढ़ लीजिए। उन्होंने कहा कि जब नयी-नयी दुल्हन घर में आती है, तो सास उपदेश देती है। आप प्रोसीडिंग्स पढ़ लीजिए। क्या हम ऐसी सास की बात सुनें, जिसने जनतंत्र की हत्या की है। जिस सास ने लोगों की आजादी छीनने का प्रयास किया है। गरीबों को लुटने की बातें करती हैं? क्या हम वैसी सास की बातें सुनें, ऐसी सास की बातें हम नहीं सुन सकते हैं। कर्पूरी ठाकुर आगे कहते हैं कि हमारा अपना आदर्श है। अपनी दिशा तथा कार्यक्रम है। हमारा अपना लक्ष्य है। हमें नये भारत का निर्माण करना है। हम नये भारत का निर्माण, नये बिहार का निर्माण करने के लिए संपन्नता और समता को स्थापित करेंगे और उसी पर चलते रहेंगे। मुख्यमंत्री के इस जवाब के बाद राम लखन सिंह यादव चुप हो जाते हैं। कांग्रेस को दिखाया आईना5 जुलाई 1977 के बिहार विधानसभा की कार्यवाही में मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर कांग्रेस विधायकों को करारा जवाब देते हैं। कांग्रेस सदस्य रघुनाथ झा के एक सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री कहते हैं कि आपलोग हमारा समाजवाद, नेहरू समाजवाद और आपका समाजवाद क्या है, ये हमसे पूछते हैं? कर्पूरी ठाकुर कहते हैं कि राधानंद झा ने एक बात कही थी कि 1296 करोड़ इस पंचवर्षीय योजना में खर्च करना तय हो गया था। जो सीलिंग तय है, आधे से कम खर्च में हुआ है। यह सही है। हर साल और आगे आने वाले साल में पूरी राशि खर्च करनी है। हमारी राज्य सरकार कोशिश करेगी, ताकि 53 प्रतिशत इस साल और आगे आने वाले साल में खर्च हो। वे आगे जोड़ते हैं कि नहेरू समाजवाद की आपकी कल्पना है। लेकिन मैं चाहता हूं कि पंडित नेहरू का नाम लेना आप छोड़ दीजिए। समाजवाद का नाम लेना भी छोड़ दीजिए। मैंने तो समाजवाद को छोड़ा नहीं है। हमलोग गरीबों के लिए काम करने वाले हैं। मैं नहीं कहता हूं, सबसे ज्यादा। ये बात कर्म से साबित की जाएगी, बोली से नहीं। कांग्रेस सदस्यों पर कसा तंजमुख्यमंत्री विधानसभा में गुस्से में कांग्रेस सदस्यों को संबोधित करते हुए कहते हैं। 10 साल गुजरे समय से कांग्रेस की सत्ता रही है। दिल्ली में इंदिरा गांधी का शासन था और बिहार में आपके दल के कई लोग मुख्यमंत्री के पद पर रहे। उसमें लिखा है कि 10 साल में पूंजी विनियोग में ह्रास हुआ है। 5 लाख से ज्यादा पेडअप कैपिटल वाले मध्यम और बड़ी इंडस्ट्रीज ने उन्नति की है। 8 साल में उनका एसेट दुगुना हो गया। 20 प्रख्यात एकाधिकारी संस्थानों का कुल एसेट 150 प्रतिशत बढ़ गया है। एसेट का मूल्य 2080 करोड़ रुपये से बढ़कर 5110 करोड़ रुपये हो गया है। मोनोपॉली प्रतिशत बढ़ने लगी। मध्यम और बड़ी कंपनियों के बीच द्वंद चलता रहा। उसके बाद टाटा, बिड़ला प्रथम श्रेणी में आ गए। मफतलाल जिसका तीसरा स्थान था, वे 10वें स्थान पर आ गया। कांग्रेस को समाजवाद का पाठकर्पूरी ठाकुर कांग्रेस के शासन पर तंज कसते हुए बिहार विधानसभा में कहते हैं कि कांग्रेस के 'डिकेड ऑफ डेस्टिनी' का फायदा केवल एक बड़े-बड़े एकाधिकारी संस्थानों को ही मिला। छोटे-छोटे संस्थानों, मध्यम वर्ग के लोगों और किसानों-मजदूरों को फायदा नहीं पहुंचा। इसलिए कांग्रेस के लोग समाजवाद का नाम लेते हैं, तो मेरे जैसे लोगों को हंसी आती है। पूंजीवाद ही नहीं बल्कि एकाधिकार के मोनोपॉली के जो मित्र रहे हैं, समर्थक रहे हैं, उनको बढ़ने का दिन-दूना, रात चौगुना मौका दिया है। पिछले तीस वर्षों में 'डिकेड ऑफ डेस्टिनी' में वे लोग हमलोगों को उपदेश देते हैं, समाजवादी बनने का। कर्पूरी ठाकुर ने आगे कहा कि विरोधी दल के नेता ने अपने भाषण में अपने को सास बताया है और हमलोगों को नयी दुल्हन। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या हम ऐसी सास की बात सुनें, जिन्होंने घूस देकर जज को पैगाम भेजा कि सुप्रीम कोर्ट का जज बना देते हैं, फैसला हमारी मनचाही हो। उसके बाद विधानसभा में सत्तापक्ष के सदस्य कांग्रेस के लिए शेम-शेम का नारा लगाते हैं।


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