पेरिस : महिलाओं की एक ड्रेस को 1946 में नाम दिया गया 'बिकिनी'। यह नाम बिकिनी के डिजाइन फ्रेंच इंजीनियर लुइस रिअर्ड ने दिया था। उन्होंने स्विमसूट का नाम बिकिनी एटोल (Bikini Atoll) के नाम पर रखा, जहां अमेरिका न्यूक्लियर टेस्ट कर रहा था। फ्रांस में शुरुआती सफलता मिलने के बाद यह ड्रेस विवादों में घिर गई, लेकिन दुनियाभर में महिलाएं आज इस स्विमसूट की दीवानी हैं। रेर्ड ने बाद में बिकिनी को 'टू पीस बाथिंग सूट' करार दिया था। फैशन पत्रिका मॉडर्न गर्ल मैगजीन ने 1957 में कहा था कि तथाकथित 'बिकिनी' के बारे में बात करना शब्दों की बर्बादी है क्योंकि कोई भी सभ्य और शालीन लड़की कभी ऐसी चीज नहीं पहनेगी। 1946 में अस्तित्व में आने के बाद शुरुआती दिनों में बिकिनी को फ्रेंच अटलांटिक तट, स्पेन, इटली, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया में बीच और सार्वजनिक जगहों पर बैन कर दिया गया था। कई अमेरिकी राज्यों में भी इसका विरोध हुआ या इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था। वेटिकन ने कहा, 'पापी ड्रेस'वेटिकन ने इस ड्रोस को 'पापी' घोषित कर दिया था। यूनाइटेड स्टेट्स मोशन पिक्चर प्रोडक्शन कोड, जिसे 1934 से लागू किया गया था, ने टू-पीस गाउन की मंजूरी दे दी। लेकिन हॉलिवुड फिल्मों में नाभि के प्रदर्शन को प्रतिबंधित कर दिया। अटलांटिक के दोनों ओर लोकप्रिय अभिनेत्रियों और मॉडलों की ग्लैमरस तस्वीरों ने बिकिनी को मुख्यधारा में लाने में एक बड़ी भूमिका निभाई। बिकिनी पहनने के लिए टिकट बिकिनी को लेकर विवाद लंबे समय तक जारी रहा। जर्मनी ने 1970 के दशक तक पब्लिक स्विमिंग पूल में बिकिनी पर प्रतिबंध को जारी रखा। यह तस्वीर भी उसी समय की है जब बिकिनी एक विवादित ड्रेस थी। ट्विटर पर 'हिस्ट्री इन पिक्चर्स' नामक हैंडल ने इस फोटो को ट्वीट किया है। 1957 की इस फोटो में एक पुलिसकर्मी को बिकिनी पहनने के लिए एक महिला को टिकट जारी करते देखा जा सकता है।
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