वैसे आज आप सभी को, भारत की आज़ादी के 70 वर्षों में जितने भी प्रधानमंत्री, पर्यावरण मंत्री, नेता और Bureaucrats हुए हैं, उन्हें भी दिल से मुबारकबाद देनी चाहिए. क्योंकि, इन सरकारों और सिस्टम की वजह से हमारा देश प्रदूषण के मामले में विश्व विजेता बन गया है. और World Health Organization ने इसके लिए हमें प्रदूषित शहरों वाला Gold Medal भी दे दिया है. WHO की रिपोर्ट बताती है, कि दुनिया के 10 में से 9 लोग प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं. और इस प्रदूषण की वजह से हर साल 70 लाख लोगों की मौत हो रही है. लेकिन सबसे ज़्यादा शर्म की बात ये है, कि दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 शहर, हमारे देश भारत के हैं. दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में कानपुर पहले स्थान पर है.
इसके बाद फरीदाबाद, वाराणसी, गया, पटना, दिल्ली, लखनऊ, आगरा, मुज़फ़्फ़रपुर, श्रीनगर, गुरुग्राम, जयपुर, पटियाला और जोधपुर का नंबर आता है. ये आंकड़े इन शहरों की ज़हरीली हवा के आधार पर जारी किये गये हैं. इस लिस्ट को बनाने के लिए 4 हज़ार से ज़्यादा शहरों की हवा में PM 2.5 और PM 10 जैसे छोटे-छोटे कणों की मौजूदगी का अध्ययन किया गया. WHO के Database से पता चलता है, कि वर्ष 2010 से 2014 के बीच में दिल्ली के प्रदूषण स्तर में मामूली सुधार हुआ. लेकिन 2015 के बाद फिर से हालात बिगड़ने लगे. कुछ ऐसी ही स्थिति बाकी 13 शहरों की भी है.रिपोर्ट में हैरान करने वाली बात ये है, कि ज़्यादातर शहर उत्तर भारत के हैं. यानी अगर आप भी इन शहरों में रहते हैं, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए.
हालांकि, WHO की रिपोर्ट आने के बाद पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है, कि प्रदूषण की ये रिपोर्ट पुराने Data के आधार पर तैयार की गई है. पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक, वर्ष 2016 के मुक़ाबले 2017 और 2018 में अभी तक प्रदूषण के स्तर में सुधार हुआ है. WHO ने जिन आंकड़ों के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार की है, वो वर्ष 2010 से 2016 के दौरान अलग-अलग Sources से लिए गये थे.
यानी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता, कि दुनिया में कुछ शहर ऐसे भी होंगे, जहां की स्थिति भारत के इन 14 शहरों से ज़्यादा ख़राब होगी. लेकिन नए Data उपलब्ध ना होने की वजह से उनका नाम इस List में ऊपर नहीं आ पाया. हालांकि, इसके बावजूद आपको ज़्यादा खुश होने की ज़रुरत नहीं है. क्योंकि Rank चाहे जो भी हो, प्रदूषण के मामले में हमारे देश के ज़्यादातर शहर एक दूसरे के साथ Competition कर रहे हैं.
वैसे बात सिर्फ वायु प्रदूषण की ही नहीं है. आज हमारे पास एक और डराने वाली जानकारी है. United Nations की Food and Agriculture Organization ने एक चौंकाने वाली बात कही है. FAO की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत, यूरोप और अफ्रीका के कुछ देशों में मां का दूध भी अशुद्ध हो गया है. जिसकी वजह से बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है. इन देशों में मां के दूध में ख़तरनाक Chemicals का स्तर काफी ऊंचा पाया गया है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है, कि मां के दूध में ये अशुद्धता, खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों और Chemicals की वजह से आई है. FAO का कहना है, कि दुनियाभर में प्रदूषित मिट्टी की वजह से खाद्य सुरक्षा और इंसानों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है.रिपोर्ट के अनुसार औद्योगिक विकास, खनन और कृषि के लिए इस्तेमाल किए गए रसायनों से दुनिया भर में मिट्टी का प्रदूषण तेज़ी से बढ़ा है. इसके अलावा बढ़ते शहरीकरण ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है. इसमें शहरों में पैदा होने वाले कचरे की बहुत बड़ी भूमिका है.
यानी बात चाहे वायु प्रदूषण की हो या फिर प्रदूषित मिट्टी की हो. हम एक ऐसी पृथ्वी पर अपना जीवन जी रहे हैं, जो हमें धीमी मौत दे रही है. और इस प्रदूषण का इलाज करने के लिए हमें Technology और अनुशासन की ज़रूरत है. इन दोनों की मदद से प्रदूषण को दूर किया जा सकता है. दुनिया के कई देश ऐसा करने में सफल हुए हैं. लेकिन भारत में ऐसा नहीं होता. हमारे देश के लोगों की मानसिकता इतनी खराब हो चुकी है, कि अगर लोगों के लिए कोई लाभदायक योजना या Technology लाई भी जाती है तो लोग उसका जमकर दुरुपयोग करते हैं
लोगों को स्मार्टफोन मिल जाता है तो वो ड्राइविंग करते हुए भी लगातार उसका इस्तेमाल करते रहते हैं.फिर चाहे इससे किसी की जान ही क्यों ना चली जाए.फ्री इंटरनेट दिया जाता है तो उसका भी गलत इस्तेमाल शुरू हो जाता है. लोग हर वो चीज़ देखते हैं, जो उन्हें नहीं देखनी चाहिए. लोग इंटरनेट के ज़रिए अफवाह फैलाते हैं, दंगे करवाते हैं, पत्थरबाज़ी करवाते हैं.लोगों को ई-शॉपिंग की सुविधा मिलती है तो Online धोखाधड़ी शुरू हो जाती है. डेटा की चोरी शुरू हो जाती है.इसी तरह एक्सप्रेस हाईवे बनाए जाते हैं तो लोग आंधी-तूफान की गति से गाड़ियां चलाते हैं, और किसी नियम का पालन नहीं करते.
लोग मौका मिलते ही सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, चाहे उससे लोगों को कितनी ही सुविधाएं क्यों ना मिल रही हों.बिजली मिलती है तो उसकी चोरी शुरू हो जाती है. बच्चों के खेलने के लिए पार्क मिलता है तो वहां पर अवैध कब्ज़े हो जाते हैं. साफ सुथरा शहर मिलता है तो लोग वहां पर गंदगी फैलाना शुरू कर देते हैं.हमारे देश में फोन आ गया, इंटरनेट आ गया, लेकिन लोगों को इनका इस्तेमाल करने का सलीका नहीं आया. जितनी तेज़ी से विकास हो रहा है और जितनी तेज़ी से हमें technology मिल रही है. उतने ही बड़े पैमाने पर लोग तमाम सुविधाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं. और इस दुरुपयोग पर कोई लगाम भी नहीं लग पाती क्योंकि भारत की जनसंख्या बहुत ज़्यादा है. 133 करोड़ लोगों की जनसंख्या को संभालना, उसे अनुशासित करना, उस पर नज़र रखना और ज़रूरत पड़ने पर उसे सज़ा देना बहुत मुश्किल काम है.
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