Thursday, 8 September 2022

चीन 'एशियाई नाटो' के खिलाफ बना रहा GSI, नए शीत युद्ध का खतरा, संकट में फंसा नेपाल

काठमांडू/बीज‍िंग: एशिया में अमेरिका, भारत, जापान की किलेबंदी से घबराए चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग अब 'एशियाई नाटो' से निपटने के लिए वैश्विक सुरक्षा पहल (GSI) को बढ़ावा देने में जुट गए हैं। चीन ने इसके लिए छोटे एशियाई देशों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। चीन की इस चाल का ताजा शिकार भारत का पड़ोसी देश नेपाल हुआ है और ड्रैगन जीएसआई के साथ वैश्विक व‍िकास पहल (GDI) को समर्थन देने के लिए दबाव डाल रहा है। हालत यह है कि नेपाल की पूर्व डेप्‍युटी पीएम और व‍िदेश मंत्री रहीं सुजाता कोइराला ने शेर बहादुर देउबा सरकार से चीन के जीएसआई पर नेपाल का रुख जानना चाहा है। नेपाल की संसद में अपने संबोधन के दौरान सत्‍तारूढ़ नेपाली कांग्रेस की सदस्‍य सुजाता ने सरकार से यह भी पूछा कि क्‍या देउबा सरकार ने इस सुरक्षा पहल में शामिल होने का फैसला किया है। काठमांडू पोस्‍ट की रिपोर्ट के मुताब‍िक जीएसआई को चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग बढ़ावा दे रहे हैं और इसका सबसे पहले ऐलान अप्रैल महीने में बोआओ फोरम फॉर एशिया में किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे पहले 6 जुलाई को नेपाल में चीन की बदनाम राजदूत हाओ यांकी ने दावा किया था कि नेपाल जीडीआई और जीएसआई दोनों में ही शामिल होने के लिए तैयार है। 'गुटन‍िरपेक्षता की नीति का पालन करता है नेपाल' उधर, दूसरी ओर कई मौकों पर नेपाली पक्ष की ओर से जारी बयानों में इस मुद्दे पर चुप्‍पी साधी गई है। सुजाता कोइराला ने कहा, 'सभी तीनों ही मौकों पर व‍िदेश मंत्रालय चुप बना रहा। नेपाल की व‍िदेश नीति के मुताबिक काठमांडू किसी भी सुरक्षा गठबंधन में न तो हिस्‍सा लेता है और न ही उसका सदस्‍य बनता है। मैं सरकार अनुरोध करूंगी कि जनहित में नेपाल सरकार इसे स्‍पष्‍ट करे।' उन्‍होंने चीनी के दावे की हवा निकालते हुए कहा कि यह हमारी नीति रही है कि किसी भी गठबंधन का हिस्‍सा न बना जाए। नेपाल गुटन‍िरपेक्षता की नीति का पालन करता है। नेपाल की सरकारें सभी सुरक्षा गठबंधनों से दूर रही हैं। इसका खुलासा साल 2018 में हुआ जब नेपाल ने बिम्‍स्‍टेक संयुक्‍त मिलिट्री ड्रिल से खुद को अलग कर लिया। अप्रैल 2022 में चीन के राष्‍ट्रपति ने जीएसआई की शुरुआत करते हुए संकेत दिया था कि यह वैश्विक सुरक्षा के प्रति एक नया रवैया है। उन्‍होंने कहा कि इससे भविष्‍य में संघर्ष से बचा जा सकेगा। यूक्रेन युद्ध के बीच जिनपिंग के इस ऐलान से दुनिया की भौहें तन गई थीं। व‍िश्‍लेषकों का कहना है कि चीन का जीएसआई नए कोल्‍ड वार को भड़का सकता है। यह एशियाई नाटो कहे जाने वाले क्‍वॉड और ऑस्‍ट्रेलिया के ऑकस डील के खिलाफ चीन बना रहा है। भारत क्‍वॉड का सदस्‍य देश है।


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