Tuesday, 27 September 2022

सचिन पायलट और वे 18 विधायक जो अपनी ही पार्टी के लिए बने हुए हैं विलेन!

जयपुर: राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर एक बार फिर अशोक गहलोत और के बीच रस्साकशी तेज है। हालांकि, इस बार पायलट शांत नजर आ रहे हैं, यही नहीं वो दिल्ली दौरे के लिए भी निकल चुके हैं। दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से ठीक पहले गहलोत (Ashok Gehlot) के इशारे पर कथित तौर पर कांग्रेस में बड़ा खेल खेला गया। सचिन पायलट (Sachin Pilot) को सीएम बनने से रोकने के लिए गहलोत समर्थित 92 विधायकों ने तेवर दिखाते हुए अपने-अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी (CP Joshi) को सौंप दिए। अचानक हुए इस सियासी घटनाक्रम से पार्टी नेतृत्व खफा बताया जा रहा। बस फिर क्या था गहलोत अपने ही खेल में फंसते नजर दिख रहे। वहीं इस सियासी उठापटक में सचिन पायलट के साथ कभी बगावती तेवर अख्तियार करने वाले 18 विधायक लगातार उनसे जुड़े हुए हैं। ये 18 विधायक कौन हैं जो अभी गहलोत का गेम बिगाड़ बने हुए हैं उनके लिए पार्टी के विलेन? गहलोत के सियासी दांव ने दिलाई पायलट खेमे के बगावत की याद रविवार 25 सितंबर को अचानक हुए इस घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी। गहलोत ने चुप्पी साधते हुए अपने समर्थकों के जरिए हाईकमान को चुनौती दे डाली। इस सियासी खेल से जुलाई 2020 का वो खेल भी ताजा हो गया जब सचिन पायलट ने भी बगावती तेवर अपनाए थे। मुख्यमंत्री की कुर्सी की खातिर सचिन पायलट अपने समर्थित विधायकों के साथ राजस्थान से बाहर मानेसर के एक होटल में जाकर ठहर गए थे। प्रदेश सरकार के सामने संकट खड़ा हो गया था। सरकार बचाने के लिए अशोक गहलोत को अपने समर्थित विधायकों की बाड़ेबंदी करनी पड़ी। 34 दिनों तक विधायकों के साथ गहलोत भी पहले जयपुर और फिर जैसलमेर की होटलों में रहे। बाद में सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायकों ने सरेंडर किया और सदन में गहलोत सरकार का साथ दिया तो सरकार से संकट टला था। 2020 में में पायलट गुट करने वाला था बड़ा खेला जुलाई 2020 में जब सचिन पायलट ने बगावती तेवर दिखाए थे। उस समय कांग्रेस के 18 और विधायक उनके साथ में थे। पार्टी की व्हिप का उलंघन करने पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी की ओर से सचिन पायलट सहित सभी 19 विधायकों को नोटिस जारी किए थे। अभी गहलोत खेमे ने इन्हीं विधायकों को पार्टी का विलेन बताया है और पायलट को सीएम बनाने के फैसले का विरोध कर दिया है। आखिर पायलट का साथ देने वाले विधायक कौन-कौन हैं, जिन्हें गहलोत खेमे ने पार्टी का विलेन बताया है - 1. विश्वेंद्र सिंह 2. रमेश मीणा3. भंवरलाल शर्मा4. दीपेंद्र सिंह शेखावत5. हेमाराम चौधरी6. गजेंद्र सिंह शक्तावत7. रामनिवास गावड़िया8. इंद्रराज गुर्जर9. गजराज खटाणा10. राकेश पारीक11. मुरारीलाल मीणा12. पीआर मीणा13. वेद प्रकाश सोलंकी14. सुरेश मोदी15. मुकेश भाकर16. हरीश मीणा17. बृजेंद्र ओला18. अमर सिंह अब गहलोत के समर्थन में खड़े विधायक बदल रहे पाला अब एक बार फिर से ये 18 विधायक सचिन पायलट के साथ नजर आ रहे हैं। वहीं अब गहलोत के समर्थन में खड़े कई विधायक अब हाईकमान के फैसले के पक्ष में आ गए हैं। रविवार को जिन विधायकों ने शांति धारीवाल और महेश जोशी के कहने पर इस्तीफे दिए थे। वे विधायक अब गहलोत गुट से छिटकने लगे हैं। रविवार शाम को बगावत की बैठक में शामिल होने वाले विधायक इंदिरा मीणा, जितेन्द्र सिंह, मदन प्रजापत और संदीप यादव ने 24 घंटे के भीतर अपना विचार बदल दिया। इनका कहना है कि वे हाईकमान के फैसले के साथ हैं। मदन प्रजापत ने तो साफ कह दिया कि सचिन पायलट को अगर मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। दिव्या मदेरणा ने गहलोत खेमे पर उठाए सवाल कांग्रेस की तेज तर्रार नेता दिव्या मदेरणा ने गहलोत गुट की ओर से उठाए गए कदम को गलत करार दिया है। रविवार को हुए घटनाक्रम को लेकर दिव्या सोमवार को काफी आक्रामक नजर आई। उन्होंने साफ किया कि वे ना तो गहलोत गुट के साथ हैं और ना ही पायलट गुट के साथ। वे किसी गुट में नहीं है। वे तो सिर्फ हाईकमान के फैसले के पक्ष में है। दिव्या से स्पष्ट कहा कि जब कांग्रेस हाईकमान के आदेश पर विधायक दल की बैठक बुलाई गई तो धारीवाल के बंगले पर बैठक करने का क्या औचित्य था। यह कदम गलत है। सभी विधायकों को हाईकमान के फैसले को स्वीकार करना चाहिए था। राजेंद्र गुढ़ा ने कहा, सिर्फ तीन-चार लोगों ने सारे विधायकों को कब्जे में किया राजेन्द्र गुढ़ा ने भी स्पष्ट कहा था धारीवाल के सरकारी बंगले पर जो नौटंकी हुई उसका नतीजा बहुत बुरा होगा। गुढ़ा ने कहा कि सिर्फ तीन-चार लोगों ने सारे विधायकों को कब्जे में कर रखा है। जिन विधायकों ने धारीवाल और महेश जोशी के बहकावे में आकर इस्तीफे दिए हैं। उनमें कोई भी विधायक बिना टिकट के सरपंच का चुनाव भी नहीं जीत सकते। रिपोर्ट - रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर


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