वॉशिंगटन: अमेरिका की जमीन पर पाकिस्तान, रूस और बाइडन प्रशासन तक को खरी-खरी सुनाने वाले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के मैराथन दौरे की सोशल मीडिया में जमकर प्रशंसा हो रही है। विदेश मंत्री जयशंकर 10 दिन के अमेरिका के दौरे पर हैं और इतने दिनों में वह 50 बैठकें कर रहे हैं। यही नहीं इन 50 मीटिंग में से 40 वन टू वन हो रही है। इसके अलावा द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और ग्रुप मीटिंग अलग हैं। जयशंकर ने अपने दौरे में जहां संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित किया है, वहीं अमेरिका के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री से भी मुलाकात करके चीनी ड्रैगन को कड़ा संदेश भी दिया है। यही नहीं भारतीय विदेश मंत्री ने पश्चिमी देशों के धुर विरोधी रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात करके अमेरिका और रूस के बीच संतुलन बनाने में कामयाबी हासिल की है। भारतीय विदेश मंत्री की इस मैराथन पारी की सोशल मीडिया में जमकर प्रशंसा हो रही है। अमेरिका के रैंड कार्पोरेशन में राष्ट्रीय सुरक्षा और हिंद प्रशांत मामलों के विश्लेषक प्रफेसर डेरेक जे ग्रासमैन ने ट्वीट करके कहा, 'जयशंका का अमेरिका दौरा बहुत ही खिंचा हुआ है। न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन डीसी में जयशंकर 10 दिन में 50 बैठकें कर रहे हैं। इनमें से 40 बैठक वन टु वन हो रही है। इसके अलावा द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और ग्रुप मीटिंग अलग है। जयशंकर अमेरिका के रक्षा, विदेश, वाणिज्य मंत्री से मिले हैं। इसके अलावा जयशंकर ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से भी मुलाकात की है। अविश्वसनीय स्टेमिना है।' 'जयशंकर दुनिया के सबसे चर्चित और उल्लेखनीय विदेश मंत्री' प्रफेसर डेरेक का यह ट्वीट अब सोशल मीडिया में जमकर शेयर किया जा रहा है और लोग ट्वीट करके उनकी मेहनत की प्रशंसा कर रहे हैं। डॉक्टर प्रवीण सिन्हा इस ट्वीट के जवाब में लिखते हैं, 'इसमें भारतीय मूल के लोगों का फोटो और सेल्फी खिंचवाना शामिल नहीं है जिसकी छोटा सा भी ब्रेक लेने पर मांग होती है।' रोहन ने लिखा, 'जयशंकर अब तक के सबसे अच्छे विदेश मंत्री हैं। वह ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें अपना काम पता है।' सुवाम पाल लिखते हैं, 'निश्चित रूप से लावरोव, अलथानी और वांग यी से अब फोकस डॉक्टर जयशंकर की ओर हो गया है। हाल के दिनों में जयशंकर दुनिया के सबसे चर्चित और उल्लेखनीय विदेश मंत्री बन गए हैं।' अपने इस 10 दिवसीय दौरे में भारतीय विदेश मंत्री ने रूस, अमेरिका, पाकिस्तान, चीन और पश्चिमी देशों की मीडिया की जमकर धुलाई की। भारतीय विदेश मंत्री ने रूस को अब तक का सबसे कड़ा संदेश दिया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सत्र में रूस का नाम लिए बिना तीखा हमला बोला। जयशंकर ने पीएम मोदी के 'यह युद्ध का युग नहीं है' के बयान को दोहराते हुए कहा कि संघर्ष की स्थिति में भी मानवाधिकारों या अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है। रूस की ओर से दी जा रही एटमी धमकी पर जयशंकर ने कहा, ‘यूक्रेन युद्ध की दिशा पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय है। भविष्य के अनुमान और भी ज्यादा परेशान करने वाले दिख रहे हैं। परमाणु मुद्दा विशेष तौर पर चिंताजनक है।’ हालांकि विदेश मंत्री ने रूसी विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय और ब्रिक्स देशों की बैठक में मुलाकात करके संतुलन भी कायम किया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन जंग के बाद भी रूस से हथियारों की भारत को आपूर्ति हो रही है। 'अमेरिका एफ-16 को लेकर भारत को मूर्ख बना रहा' भारतीय विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को एफ-16 पैकेज देने पर भी अमेरिका को उसी की धरती पर जमकर फटकार लगाई। उन्होंने भारतीय मूल के लोगों के समक्ष कहा कि अमेरिका एफ-16 को लेकर भारत को मूर्ख बना रहा है। जयशंकर ने अमेरिका के आतंकवाद के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि हर कोई जानता है कि एफ-16 फाइटर जेट का कहां और किसके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, 'आप इस प्रकार की बातें कहकर किसी को मूर्ख नहीं बना सकते।' भारतीय विदेश मंत्री का यह बयान वायरल हो गया और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को सफाई देनी पड़ी। इस विवाद के बाद भी विदेश मंत्री ने अमेरिका के साथ दोस्ती को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'मैं अमेरिका के साथ संबंधों को लेकर बहुत आश्वस्त हूं।’ उन्होंने कहा, ‘एक राजदूत के तौर पर अपने चार दशक के कार्यकाल में मैंने सबसे बड़ा बदलाव भारत-अमेरिका संबंधों में देखा है।’ चीन, पाकिस्तान को आतंकवाद पर लगाई फटकार जयशंकर ने कहा, ‘आपका सवाल है कि मैं संबंधों को भविष्य में कहां देखता हूं... सच कहूं तो मैं आज अमेरिका को भारत जैसे देशों के साथ काफी सक्रिय रूप से काम करता देख रहा हूं, जो वास्तव में पारंपरिक गठबंधनों से परे सोच रहा है, जो संभावित या वास्तविक भागीदारों के साथ-साथ सामान्य आधार खोजने में बहुत प्रभावी रहा है।’ उन्होंने कहा कि इसका एक बेहतरीन उदाहरण ‘क्वाड’ है, जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि करीब दो दशक पहले हमने क्वाड का गठन करने की कोशिश की थी। तब यह मुमकिन नहीं हो पाया था, लेकिन अब यह काफी अच्छे से काम कर रहा है और पिछले दो साल में इसने काफी प्रगति की है।’ यही नहीं विदेश मंत्री ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान और उसके आका चीन को भी जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कश्मीर को लेकर पश्चिमी मीडिया की पोल खोलकर रख दी।
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