Wednesday, 12 October 2022

नोटबंदी: छह साल पहले PM मोदी ने दिया था सबसे बड़ा 'झटका', अब SC करेगा फैसले का रिव्‍यू

नई दिल्‍ली: बतौर प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी का सबसे बड़ा फैसला 'जुडिशल रिव्‍यू' के दायरे में है। 2016 में मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। बुधवार को अदालत ने कहा कि वह नोटबंदी मामले की पड़ताल करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से इस बारे में डीटेल्‍ड एफिडेविट मांगा है। पांच जजों की संविधान बेंच नोटबंदी के फैसले के पीछे के लॉजिक को समझेगी। जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय बेंच 9 नवंबर को अगली सुनवाई करेगी। अदालत ने बुधवार को कहा कि वह सरकार के नीतिगत फैसलों की न्यायिक समीक्षा को लेकर ‘लक्ष्मण रेखा’ से वाकिफ है, लेकिन 2016 के नोटबंदी के फैसले की पड़ताल जरूर करेगा। कोर्ट ने कहा कि ताकि यह पता चल सके कि मामला केवल ‘अकादमिक’ कवायद तो नहीं था। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा, 'इस पहलू का जवाब देने के लिए कि नोटबंदी एकेडमिक है या नहीं या जुडिशल रिव्‍यू के दायरे से बाहर है, हमें इसकी सुनवाई करनी होगी। सरकार की नीति और उसकी बुद्धिमता, इस मामले का एक पहलू है।' अदालत में आज क्‍या-क्‍या दलीलें दी गईं?अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि जब तक नोटबंदी से संबंधित अधिनियम को सही संदर्भ में चुनौती नहीं दी जाती, तब तक यह मुद्दा अनिवार्य रूप से अकादमिक ही रहेगा। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अकादमिक मुद्दों पर अदालत का समय 'बर्बाद' नहीं करना चाहिए। मेहता की दलील पर आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ता विवेक नारायण शर्मा की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि वह 'संवैधानिक पीठ के समय की बर्बादी' जैसे शब्दों से हैरान हैं, क्योंकि पिछली पीठ ने कहा था कि इन मामलों को एक संविधान पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए। एक अन्य पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम ने कहा कि यह मुद्दा अकादमिक नहीं है और इसका फैसला शीर्ष अदालत को करना है। उन्होंने कहा कि इस तरह के विमुद्रीकरण के लिए संसद से एक अलग अधिनियम की आवश्यकता है। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश (CJI) टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने 16 दिसंबर, 2016 को नोटबंदी के निर्णय की वैधता और अन्य मुद्दों से संबंधित प्रश्न पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ को भेज दिया था।


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