बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक बार फिर से ताजपोशी के लिए तैयार हैं। रविवार को कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस का एक हफ्ते बाद समापन हो गया। शनिवार का दिन इस कार्यक्रम का एतिहासिक दिन था। सन् 1976 के बाद पहला मौका था जब जिनपिंग को असाधारण तौर पर एक बार फिर पार्टी की कमान सौंपी गई। जिनपिंग अब चीन के संस्थापक माओ से भी ज्यादा ताकतवर हो गए हैं। जिनपिंग ने इस दौरान एक भाषण भी दिया। 72 पेज के और 33,273 शब्दों वाला भाषण एक तरह से 2340 प्रतिनिधियों के सामने वर्क रिपोर्ट की तरह था। बीजिंग के ग्रेट हॉल में 83 खास तौर पर बुलाये गए पार्टी कैडर्स को भी पता लगा कि पिछले 10 सालों में क्या हुआ है। परमाणु हथियारों का जखीरा शी जिनपिंग ने अपने भाषण में भारत का नाम तो नहीं लिया लेकिन जो बातें उन्होंने कही वह चिंता बढ़ाने वाली हैं। जिनपिंग ने स्पीच में पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) को साल 2027 तक वर्ल्ड क्लास सेना बनाने पर जोर दिया। उन्होंने इस बात की भी पुष्टि कर दी कि चीन परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है। जिनपिंग ने खुलासा किया एक मजबूत रणनीतिक सिस्टम तैयार होगा जो किसी भी तरह के हमले का जवाब देने में सक्षम है। इस दौरान उनका इशारा पीएलए की स्ट्रैटेजिक फोर्स और पीएलए की रॉकेट फोर्स पर था। जिनपिंग ने कहा कि रॉकेट फोर्स को नई लड़ाकू क्षमताओं के साथ बढ़ाया जाएगा। स्थानीय युद्ध का जिक्र चीनी राष्ट्रपति ने इस दौरान 'स्थानीय युद्ध में जीत' का जिक्र तो किया। विशेषज्ञों की मानें तो इस शब्द का प्रयोग भारत और ताइवान के साथ जारी सीमा विवाद और ताइवान के साथ जारी टेंशन की तरफ था। पूर्वी लद्दाख में इसके बाद तनाव बढ़ सकता है। तिब्बत में भी चीन अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में लगा हुआ है। राष्ट्रीय कांग्रेस की शुरुआत में ही जून 2020 में हुई गलवान हिंसा की क्लिप दिखाकर जिनपिंग ने अपनी आक्रामकता की तरफ इशारा कर दिया था। इस भाषण से यह साफ हो चुका है कि चीन, भारत के साथ लंबे समय तक खराब संबंधों को झेलने के लिए रेडी है। ऐसे में भारत को भी चीन का सामना आने वाले कुछ वर्षों तक करने के लिए खुद को तैयार करना होगा। अमेरिका को संदेश शी जिनपिंग इस बात से बखूबी वाकिफ हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके खिलाफ कैसा माहौल है। उनका जो भाषण था वह भी इसे देखते हुए ही तैयार किया गया था। भाषण में अमेरिका से लेकर पीएलए और ताइवान तक का जिक्र था। जिनपिंग ने भाषण में अमेरिका को साफ कर दिया कि उनका देश इस सदी के मध्य तक दुनिया की महाशक्ति होगा। चीन मानवता, वैज्ञानिक समाजवाद और चीनी बुद्धिमता पर आधारित एक दुनिया की पेशकश करेगा। जिनपिंग ने उन चुनौतियों को भी नजरअंदाज नहीं किया जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से चीन के सामने पेश किए जा रहे हैं। जिनपिंग ने इस दौरान उन विदेशी ताकतों को भी संदेश दिया कि जो भी उनके देश और कम्युनिस्ट पार्टी को अस्थिर करने की कोशिश करगा, उसे सख्ती से जवाब दिया जाएगा। राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंता इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के बारे में भी बात की। चीनी राष्ट्रपति ने 91 बार 'सुरक्षा' शब्द का प्रयोग किया। साल 2017 में उन्होंने 42 बार इस शब्द को यूज किया था। जिनपिंग ने अपने भाषण में किसी नीति का ऐलान नहीं किया जिससे साफ हो गया कि पार्टी, राष्ट्रपति की ही नीतियों को आगे बढ़ाएगी जिसमें 'जीरो कोविड' नीति भी शामिल है। भ्रष्टाचार का जिक्र भ्रष्टाचार को खत्म करना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता रहेगी। जिनपिंग ने अपने भाषण में विज्ञान और तकनीक, आविष्कार और सुरक्षा के साथ उन सेक्टर्स की भी बात की जहां पर उनका देश सबसे ज्यादा निवेश कर रहा है। साइंस और टेक्नोलॉजी, अमेरिका को जवाब देने के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण है।
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