Sunday 30 October 2022

262 प्रोजेक्‍ट्स लटके पड़े... ये आंकड़े देखकर नितिन गडकरी माथा पीट लेंगे, रेलवे भी कम नहीं

नई दिल्‍ली: के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र में देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या सबसे अधिक 262 है। इसके बाद के रेलवे की 115 और के पेट्रोलियम क्षेत्र की 89 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। एक सरकारी रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। सितंबर, 2022 के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में निगरानी वाली 835 परियोजनाओं में से 262 परियोजनाएं अपने मूल कार्यक्रम से देरी से चल रही हैं। इसी तरह रेलवे की निगरानी वाली 173 परियोजनाओं में से 115 विलंबित हैं, जबकि पेट्रोलियम के लिए 140 में से 89 परियोजनाएं समय से पीछे हैं। अवसंरचना और परियोजना निगरानी प्रभाग (आईपीएमडी) केंद्रीय क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या उससे अधिक की लागत की परियोजनाओं की निगरानी करता है। आईपीएमडी परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा ऑनलाइन कंप्यूटरीकृत निगरानी प्रणाली (ओसीएमएस) पर प्रदान की गई जानकारी के आधार पर इनकी निगरानी करता है। आईपीएमडी सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत आता है। रिपोर्ट से पता चलता है कि मुनीराबाद-महबूबनगर रेल परियोजना सबसे अधिक देरी से चल रही परियोजना है। यह 276 महीने की देरी से चल रही है। दूसरी सबसे विलंबित परियोजना उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल परियोजना है। यह परियोजना अपने निर्धारित समय से 247 महीने पीछे है। तीसरी देरी वाली परियोजना बेलापुर-सीवुड-शहरी विद्युतीकृत दोहरी लाइन है, जिसमें 228 महीने की देरी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र की 835 परियोजनाओं के कार्यान्वयन की कुल मूल लागत (जब स्वीकृति मिली थी)4,94,300.45 करोड़ रुपये थी। इसके अब बढ़कर 5,26,481.88 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इस तरह सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र की परियोजनाओं की लागत 6.5 प्रतिशत बढ़ी है। सितंबर, 2022 तक इन परियोजनाओं पर किया गया खर्च 3,21,980.33 करोड़ रुपये था, जो अनुमानित लागत का 61.2 प्रतिशत बैठता है। रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे की 173 परियोजनाओं के कार्यान्वयन की कुल मूल लागत 3,72,761.45 करोड़ थी, लेकिन अब इसके बढ़कर 6,23,008.98 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। यानी रेलवे की परियोजनाओं की लागत 67.1 प्रतिशत बढ़ी है। सितंबर, 2022 तक इन परियोजनाओं पर किया गया खर्च 3,50,349.9 करोड़ रुपये या अनुमानित लागत का 56.2 प्रतिशत था। इसी तरह पेट्रोलियम क्षेत्र की 140 परियोजनाओं के कार्यान्वयन की कुल मूल लागत 3,64,330.55 करोड़ रुपये थी, लेकिन यह बढ़कर 3,84,102.18 करोड़ रुपये हो गई है। इसमें 5.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सितंबर, 2022 तक इन परियोजनाओं पर कुल 1,38,460.78 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। यह अनुमानित लागत का 36 प्रतिशत बैठता है।


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