Friday 21 October 2022

पेड़ों पर छिपकर बंदरों को जहरीले इंजेक्शन देकर मारने वाले ये कौन लोग हैं?

नई दिल्ली: क्या आपको पता है कि दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पेड़ों पर चढ़कर बंदरों को जहरीला इंजेक्शन देकर मार डालते हैं। दरअसल, ये इंजेक्शन एक बाण से दिया जाता है, जिसके आगे के हिस्से में पहले से जहर लगा होता है। आज 'जंगल न्यूज' की इस कड़ी में इन्हीं लोगों की बात करेंगे जिसे दुनिया मंकी हंटर (Monkey Hunter) के नाम से जानती है। इस ट्राइबल का नाम Huaorani है। बताते हैं कि इस जनजातीय समुदाय में 3000 से 4000 लोग हो सकते हैं। ये पूर्वी इक्वाडोर के जंगलों में रहते हैं। पौधे, फल के अलावा ये जनजाति ब्लोपाइप से बंदरों को शूट करके खाती है। आज से 30 साल पहले इक्वाडोर की सरकार ने इन लोगों की रक्षा के लिए जंगल को रिजर्व घोषित कर दिया था। वहां कोई फास्ट फूड रेस्तरां या किराने की दुकान नहीं है। दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के पश्चिमी छोर पर एक देश है इक्वाडोर। अमेजन जंगलों के इसी इलाके में वह जनजाति रहती है, जो ब्लोपाइप (मुंह से फूंक मारने वाला हथियार) से बंदर को बाण मार देती है। ये पेड़ों पर चढ़ने के एक्सपर्ट होते हैं और घंटों अपने शिकार का इंतजार करते रहते हैं। ये पेड़ पर इतना ज्यादा चढ़ते हैं कि पांव पूरी तरह फ्लैट हो जाते हैं। कई लोगों की छह अंगुलियां भी होती हैं। बंदरों का मांस उनके भोजन का प्रमुख स्रोत है। हालांकि वे सूअर और Toucans चिड़िया को भी मारकर खाते हैं। इनकी भाषा बिल्कुल अलग होती है। ये घास-फूस से बनी झोपड़ियों में रहते हैं। पुरुषों और महिलाओं का काम बंटा होता है। पुरुषों का मुख्य काम शिकार करना और महिलाओं का घर पर बच्चों की देखभाल करना होता है। यह जनजाति कपड़े के बारे में नहीं जानती है। ये हमेशा पूरी तरह निर्वस्त्र रहते हैं। पिछले साल इस जनजाति के लोगों के वीडियो काफी चर्चा में रहे थे जब उन्होंने जंगल के आसपास तेल की खोज के अभियान को लेकर विरोध जताया था। किलर बाण अब उस हथियार के बारे में जान लीजिए जिससे शिकार किया जाता है। इस तरह के बाण छोटे होते हैं और ज्यादातर हिस्सा लकड़ी का बनाया जाता है। 20 मिनट तक बाण के आगे के हिस्से को जहर से चिपकाकर रखा जाता है और फिर यह हथियार वार करने के लिए तैयार हो जाता है। पहले धनुष के साथ बाण मारे जाते थे लेकिन यह अलग है। इसमें लाठी की तरह का लंबा हथियार होता है जिसके एक छोर पर बाण फिट किए जाते हैं और दूसरे छोर से फूंक मारी जाती है। निशाना सही रहा तो जानवर का घायल होकर गिरना तय है।


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