बीजिंग: 16 अक्टूबर को चीन में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं नेशनल कांग्रेस है। राजधानी बीजिंग के ग्रेट हॉल में होने वाले इस आयोजन से पहले बड़े स्तर पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। अपनी सेंसर नीतियों के लिए मशहूर चीन ने अब सोशल मीडिया पर बीजिंग शब्द को ही सेंसर कर दिया है। जिनपिंग के खिलाफ असाधारण तौर पर प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। इसे देखते हुए चीनी अथॉरिटीज ने सख्ती के साथ ऑनलाइन सेंसरशिप मुहिम छेड़ रखी है। जिस नेशनल कांग्रेस का आयोजन होना है, उसके तहत जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल को मंजूरी मिलेगी। इसके साथ ही वह आजीवन देश के राष्ट्रपति बनने की तरफ बढ़ जाएंगे। जिनपिंग को हटाने की मांगचीन में जिनपिंग के आजीवन कार्यकाल को मंजूरी मिले उससे पहले ही फ्लाईओवर से लेकर हर सड़क पर उन्हें हटाने की मांग जोर पकड़ रही है। जनता बड़े पैमाने पर बैनर्स के साथ जिनपिंग को उनके पद से हटाने के लिए प्रदर्शन कर रही है। चीनी अथॉरिटीज ने इन प्रदर्शनों पर लगाम लगाने के लिए असाधारण फैसला लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर बीजिंग शब्द को ही बैन कर दिया है। अब यह शब्द सर्च करने पर नजर नहीं आ रहा है। चीन में इन दिनों कोविड-19 केसेज में इजाफा हो रहा है। जीरो कोविड पॉलिसी के तहत कुछ शहरों में लॉकडाउन लगा है तो वहीं बड़े पैमाने पर टेस्टिंग को भी अंजाम दिया जा रहा है। एक रिपोर्ट की मानें तो इसकी वजह से ही बीजिंग शब्द को सेंसरशिप ब्लैकलिस्ट में डाल दिया गया है। कोविड नीति से नाराज जनता बीजिंग के सितॉन्ग ब्रिज पर दो बड़े बैनर्स नजर आए थे जिनमें जिनपिंग को हटाने की मांग की गई थी। बैनर में लिखा था, 'कोविड टेस्ट को न कहें, खाने को हां। लॉकडाउन को न, आजादी को हां। झूठ को न और सम्मान को हां। सांस्कृतिक क्रांति को न, सुधारों को हां। महान नेता को ना, वोटिंग को हां। गुलाम मत बनिए, नागरिक बनिए।' इसके साथ ही सोशल मीडिया पर ऐसी फोटोग्राफ्स और वीडियोज आ रहे हैं जिनमें ब्रिज के ऊपर से धुंआ निकल रहा है। ताकतवर नेता जिनपिंग जिनपिंग साल 2012 में पहली बार राष्ट्रपति बने थे और एक दशक से राष्ट्रपति हैं। इन 10 सालों में वह न सिर्फ चीन के बल्कि दुनिया के सबसे ताकतवर नेता बन चुके हैं। नेशनल कांग्रेस में वह उस स्थिति में पहुंच जाएंगे जहां से उन्हें हटाना असंभव हो जाएगा। 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस पर पूरी दुनिया की नजरें हैं। जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल के अलावा कई टॉप मिलिट्री लीडर्स को भी बड़ी जिम्मेदारियां दी जाएंगी।
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