लखनऊ: यूपी के गोंडा से कैसरगंज बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह एक बार फिर चर्चा में है। इन दिनों उत्तर प्रदेश के कई जिले बाढ़ से प्रभावित है। बृजभूषण शरण सिंह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर थे और अपनी ही पार्टी की केंद्र और प्रदेश सरकार पर हमला करते नजर आए। उन्होंने बाढ़ को लेकर फैली अव्यवस्थाओं पर यहां तक कह दिया कि जनप्रतिनिधियों की जबान बंद है, बोलेंगे तो बागी कहलाएंगे। इतना बड़ा बयान देने के बाद भी चर्चा होती रही कि पार्टी उनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएगी। वहीं चर्चा होने लगी कि आखिर बृजभूषण शरण सिंह का पार्टी में कद इतना बड़ा क्यों और कैसे है। बृजभूषण शरण सिंह एक-दो नहीं बल्कि लगातार 6 बार सांसद बने हैं। यहां तक की एक दौर में पूर्व प्रधानमंत्री के गढ़ बलरामपुर में बीजेपी को जीत दिलाने में भी बृजभूषण की बड़ी भूमिका रही थी। वैसे तो उन्होंने पहली बार 1991 में गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी। यहां उन्होंने आनंद सिंह को रिकॉर्ड 1.13 लाख वोट से हरा कर इतिहास बना दिया था।
पूर्वांचल में बन गई थी बड़े छात्र नेता के तौर पर पहचान
बृजभूषण शरण सिंह का जन्म 8 जनवरी 1956 को विश्नोहरपुर गोंडा में हुआ था। चर्चा है कि कुश्ती और पहलवानी के शौकीन बृजभूषण ने 1979 में कॉलेज से छात्र राजनीति शुरू की थी, जहां रिकॉर्ड वोटों से छात्रसंघ का चुनाव जीता था। इसके बाद 1980 के दौर में पूर्वांचल कई जिलों में युवा नेता के तौर पर इनकी पहचान होनी शुरू हो गई। 1988 के दौर में पहली बार इनका बीजेपी से संपर्क हुआ और यहां से उन्होंने हिंदूवादी नेता के तौर पर छवि बनानी शुरू कर दी। 1991 में पहली बार बृजभूषण ने लोकसभा चुनाव में जीत का स्वाद चखा। हालांकि कुछ समय बाद टाडा से जुड़े मामले में उन्हें जेल जान पड़ा। तब इनकी राजनीति हल्की पड़ गई।1999 से जारी है जीत का सफर
बीजेपी को जब बलरामपुर में लगातार हार मिल रही थी, तब बृजभूषण शरण सिंह को फिर मैदान में उतारा गया। 1999 में उन्होंने बलरामपुर से जीत भी दर्ज की। बृजभूषण शरण सिंह का गोंडा, बलरामपुर, अयोध्या समेत कई जिलों में दबदबा बढ़ता गया। 1999 के बाद से अब तक सभी लोकसभा चुनाव में बृजभूषण ने एक बार भी हार का सामना नहीं किया। इस दौरान उनकी सीट भी बदलती रही। इसी बीच उन्होंने एक बार मतभेद के चलते बीजेपी छोड़ दी थी, लेकिन कुछ समय बाद फिर वापसी हो गई।राममंदिर मुहिम का भी रहे हिस्सा
बृजभूषण शरण सिंह राम मंदिर मुहिम का भी अहम हिस्सा रहे हैं। अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के मामले लालकृष्ण आडवाणी समेत जिन 40 लोगों को आरोपी बनाया गया, उसमें बृजभूषण भी शामिल थे। हालांकि 28 साल बाद 30 सितंबर 2020 को उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।from https://ift.tt/SnD5Trc
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