विनियस: युरोप का एक छोटा सा देश है लिथुआनिया जिसकी आबादी साल 2021 के आंकड़ों के हिसाब से अब 28 लाख है, यानी चीन से काफी कम। क्षेत्रफल में भी यह देश चीन से छोटा है लेकिन इसी छोटे से देश ने चीन को जमकर फटकार लगाई है। लिथुआनिया के विदेश मंत्री गेब्रियलियस लैंड्सबर्गिस ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर दुनिया को ड्रैगन की सच्चाई बताई है। उन्होंने बताया है कि किस तरह से चीन दुनिया के सामने बड़ा खतरा पैदा कर रहा है। लैंड्सबर्गिस ने इसके साथ ही यह भी कहा है कि चीन, रूस की मदद नहीं कर रहा है बल्कि अपनी बुरी मंशाओं को पूरा करने में लगा है। रूस की मदद नहीं कर रहा चीन लैंड्सबर्गिस की तरफ से यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ ही दिनों पहले भारत मे लिथुआनिया की राजदूत डायना मिकेविसीन ने भारत की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया था। विदेश मंत्री लैंड्सबर्गिस ने लिखा, 'चीन, न तो रूस की मदद कर रहा है और न ही किसी और देश की मदद कर रहा है। चीन सिर्फ अपनी मदद करता है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका और यूरोपियन शक्तियों का एक विकल्प तैयार करने की कोशिशों में लगे हैं। वह चाहते है कि इस नई व्यवस्था के तहत ज्यादा से ज्यादा देशों को शामिल किया जाए। ' लैंड्सबर्गिस का कहना था कि राष्ट्रपति जिनपिंग अमेरिका और यूरोपियन शक्तियों का जो विकल्प तैयार करने की कोशिशों में लगे हैं, उसमें वह पूर्वी एशिया, पूर्वोत्तर एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और चीन के नेतृत्व वाले मध्य एशिया वाले देशों को शामिल करना चाहते हैं।जाल में फंसाता ड्रैगन लैंड्सबर्गिस के मुताबिक चीन का मॉडल वार्ता नहीं बल्कि प्रभुत्व कायम करने के सिद्धांत पर काम करता है। उन्होंने कहा कि चीन के विकल्प में शामिल देशों को जो मदद मिल रही है, उसमें मानवाधिकारों की जरूरत ही नहीं हैं और फिर वह उस जाल में फंस जाते हैं जिसमें जीत सिर्फ चीन की होनी है। उन्होंने एक और ट्वीट किया और लिखा कि चीन ने अब फैसला कर लिया है कि अब उसे दुनिया के सामने अपनी ताकत दिखानी है। यूक्रेन के लिए जो शांति प्रस्ताव आया है या फिर सऊदी अरब या ईरान के बीच जो सुलह हुई है, वह तो सिर्फ जिनपिंग की एक शुरुआत है। बढ़ता चीन का हौंसला उनकी मानें तो अब समझा-बुझाकर चीन की चाल बदलने की उम्मीदें करना बेकारा है। उन्होंने आगे लिखा, 'हमें याद रखना चाहिए कि आर्थिक साझेदारी की पेशकश कर रूस को रोकने के प्रयास विफल रहे हैं। पुतिन वास्तव में हमारे लचीलेपन सेcuउत्साहित थे, राजी नहीं थे। इसी तरह की रणनीति से चीन का भी हौसला बढ़ेगा। एक ही गलती को दो बार नहीं करने की कोशिश होगी।' उन्होंने कहा कि यह पता होना चाहिए कि अगर चीन नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का उल्लंघन करने की कोशिश करता है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। उनकी मानें तो यह समझना होगा कि यह सब दुनिया को कहां ले जा सकता है
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