Friday, 14 April 2023

रूस और चीन से खतरा, परमाणु बम से लैस 'अमोघ अस्‍त्र' बनाने में जुटा अमेरिका, नया शीतयुद्ध शुरू ?

वॉशिंगटन: चीन और रूस से खतरे को देखते हुए अमेरिका परमाणु बम से लैस नई पीढ़ी का हथियार बनाने में जुट गया है। अमेरिका ने अपनी जमीन आधारित परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को एक नई पीढ़ी के रीएंट्री वीइकल से लैस करने की योजना बनाई है। अमेरिका ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब चीन और रूस दोनों ही महाविनाशक हाइपरसोनिक मिसाइलों के मामले में दुनिया को पीछे छोड़ चुके हैं। रूस और चीन के सामूहिक खतरे से निपटने के लिए अब अमेरिका अपने नए प्‍लान पर जुट गया है। वहीं अब रूस, चीन और अमेरिका की इस खतरनाक तैयारी को कई विशेषज्ञ नए शीतयुद्ध की शुरुआत बता रहे हैं। ब्रेकिंग डिफेंस की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी वायुसेना ने नेक्‍स्‍ट जनरेशन रीइंट्री वीइकल (NGRV) को अपनी नई LGM-35A सेंटीनल अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल के ऊपर लगाने का फैसला किया है। यह एनजीआरवी इस तरह से बनाया गया है ताकि किसी हमले में यह बचा रहे, मारक क्षमता और सटीकता ज्‍यादा हो। इस नेक्‍स्‍ट जनरेशन रीइंट्री वीइकल में एक परमाणु मिसाइल का वारहेड लगा होगा।

मिनटमैन 3 मिसाइल की जगह सेंटीनल

अमेरिकी वायुसेना अभी सें‍टीनल मिसाइल पर एक ही वारहेड लगाने की तैयारी में है लेकिन अंतरराष्‍ट्रीय सुरक्षा माहौल को देखते हुए इस वॉरहेड की संख्‍या को 2 या 3 किया जा सकता है। इस NGRV में भविष्‍य में बनने वाले वॉरहेड को भी फिट किया जा सकेगा। यह परियोजना अमेरिका की लंबे समय से जमीन आधारित अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों को बदलने के प्रयासों का हिस्‍सा है। इससे पहले अप्रैल में खबर आई थी कि अमेरिका अपनी मिनटमैन 3 मिसाइल की जगह पर LGM-35A सेंटीनल मिसाइल को तैनात करने जा रहा है। मिनटमैन मिसाइल कोल्‍ड वॉर के जमाने की है। अमेरिका अपने आधुनिकीकरण योजना को साल 2029 तक पूरा करना चाहता है। सेंटीनल मिसाइल साल 2070 के दशक तक सेवा में बनी रहेगी। इस नई मिसाइल में सुरक्षा उपाय, गाइडेंस सिस्‍टम और वार करने की ताकत को बढ़ाया गया है। मिनटमैन के मुकाबले सेंटीनल मिसाइल में खासियत यह है कि साइलो के अंदर ही वारहेड की मरम्‍मत की जा सकती है। इससे वह दुश्‍मन की पकड़ में नहीं आती है और कम लोगों की भी जरूरत होती है। अमेरिका यह तैयारी ऐसे समय पर कर रहा है जब चीन और रूस दोनों ही बड़े पैमाने पर हाइपरसोनिक मिसाइलें बना रहे हैं। वहीं अभी अमेरिका इस दौड़ में काफी पीछे हो गया है। हाइपरसोनिक मिसाइलों को एयर डिफेंस सिस्‍टम से नष्‍ट नहीं किया जा सकता है।


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