Wednesday 2 November 2022

मुसलमानों को क्यों नहीं? पाक और बांग्लादेश से आए हिंदुओं को नागरिकता देने पर ओवैसी ने उठाए सवाल

हैदराबाद: यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए गुजरात चुनाव से पहले सरकार ने जो कमिटी बनाई है यह नकामियों को छिपाने के लिए बनाई गई है। गलत फैसलों को छिपाने के लिए बनाई गई है। नरेंद्र मोदी बताएं कि हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली टैक्स रिबेट का फायदा सिर्फ हिंदुओं को ही क्यों मिलता है? मुसलमानों को भी दीजिए। यह तो समानता के अधिकार के खिलाफ है। गुजरात में एक मुसलमान को दूसरे समुदाय का घर खरीदने का अधिकार नहीं है। कोई धर्म परिवर्तन करना चाहे तो नहीं कर सकता गुजरात में तो इजाजत नहीं मिलती। आर्टिकल 39 संविधान में नहीं है? देश की 60 फीसदी दौलत किसके पास है? ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ये बातें कही हैं। हैदराबाद सांसद ओवैसी केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) की अधिसूचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। गृह मंत्रालय ने गुजरात के दो और जिला कलेक्टरों को वैध दस्तावेजों पर भारत में प्रवेश करने वाले छह समुदायों के प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने की अनुमति दी है। इस पर उन्होंने कहा आपको इस कानून को धर्म निरपेक्ष बनाना चाहिए। 'लंबे समय से यह हो रहा' गृह मंत्रालय के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के संबंध में नए नियम के तहत, गुजरात में मेहसाणा और आणंद जिलों के कलेक्टरों को लोगों की जांच करने और उन्हें नागरिकता देने का अधिकार है। इस पर ओवैसी ने कहा, 'ऐसा पहले से हो रहा है कि आप पहले लंबी अवधि का वीजा दें और फिर उन्हें (अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय को) नागरिकता मिले। 'सुप्रीम कोर्ट में केस, देखते हैं क्या होता है' मामला विचाराधीन होने के कारण ज्यादा टिप्पणी करने से बचते हुए ओवैसी ने कहा, 'नागरिकता संशोधन अधिनियम को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के साथ जोड़ा जाना चाहिए।' उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई कर रहा है और देखते हैं कि आगे क्या होता है। गुजरात में कॉमन सिविल कोड कमिटी पर वार गुजरात में समान नागरिक संहिता के लिए समिति गठित करने के बीजेपी सरकार के फैसले पर एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, 'भाजपा ने चुनाव से पहले जो यूसीसी समिति बनाई थी, वह सरकार की विफलताओं और उसके गलत फैसलों को छिपाने के लिए है। यह पहली बार नहीं है जब जिलाधिकारियों या कलेक्टरों को एमएचए ने ऐसी शक्तियां सौंपी हैं। इसी तरह के आदेश 2016, 2018 और 2021 में जारी किए गए थे, जिसमें गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के कई जिलों में जिला मजिस्ट्रेटों को नागरिकता प्रदान करने का अधिकार दिया गया था। वैध दस्तावेजों पर भारत में प्रवेश करने वाले छह समुदायों के प्रवासियों को प्रमाण पत्र और नागरिकता केंद्र सरकार से जुड़ा विषय है। समय-समय पर एमएचए राज्य के अधिकारियों को ऐसी शक्तियों का प्रयोग करने के लिए सौंपता है।' 11 दिसंबर 2019 को संसद से पारित हुआ सीएए नागरिकता संशोधन अधिनियम 11 दिसंबर, 2019 को संसद से पारित किया गया था और अगले दिन राष्ट्रपति की मंजूरी आई। जनवरी 2020 में मंत्रालय ने अधिसूचित किया कि अधिनियम 10 जनवरी, 2020 से लागू होगा, लेकिन बाद में इसने राज्यसभा और लोकसभा में संसदीय समितियों से नियमों को लागू करने के लिए कुछ और समय देने का अनुरोध किया। इस दौरान देश के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे थे। इससे पहले MHA ने संसदीय समितियों से छह बार इसी तरह के विस्तार के लिए समय मांगा था। सीएए नियमों को अधिसूचित करने के लिए जून 2020 में पहला विस्तार दिया गया था। यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, सिख, पारसी, ईसाई और बौद्ध समुदायों के प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने का अधिकार देता है। संसद में विपक्ष की तीखी आलोचना के बीच इसे पारित किया गया था।


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