बांदा: समाजवादी पार्टी के संरक्षक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके मुलायम सिंह यादव का खास अंदाज है। वह जो कहते हैं, करके दिखाते हैं, उनका यह अंदाज 1987 में बांदा में भी देखने को मिला। जब वह क्रांति रथ यात्रा पर निकले। तब यात्रा को रोकने के लिए कुछ हिंदूवादी संगठनों ने चेतावनी दी। इस पर प्रशासन ने उनका रूट बदलना चाहा, पर उनकी जिद थी कि वह पहले से तय रुट पर ही जाएंगे। जब उनका काफिला पहले से तय रूट से गुजरा तो, उन पर पथराव हो गया। यह तब की बात है जब उन्होंने कानपुर के अकबरपुर से क्रांति यात्रा की शुरुआत की थी। उन्होंने किसानों, बुनकरों, मंडल आयोग की सिफारिश लागू करने और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था। इसके लिए उन्होंने प्रदेश कई जनपदों में क्रांति रथ निकालने का फैसला किया था। इसी आंदोलन के तहत मुलायम सिंह यादव ने 1987 में बांदा से होकर यात्रा निकालने की घोषणा की थी। मुलायम सिंह यादव की प्रस्तावित यात्रा के खिलाफ विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी ने विरोध करने का अल्टीमेटम दिया था। क्योंकि उस समय बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद ने राम जानकी रथ यात्रा निकाली थी। मुलायम सिंह यादव जिद पर अड़ गए प्रशासन ने सपा और हिंदू संगठनों के बीच टकराव रोकने के लिए समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को बुलाकर यात्रा का रूट बदलने की बात कही थी। यह जानकारी मुलायम सिंह यादव को हुई तो वह इस जिद पर अड़ गए कि यात्रा ऐतिहासिक अशोक स्तंभ के पास से ही गुजरेगी, हुआ भी यही। मुलायम सिंह यादव क्रांति रथ लेकर बांदा पहुंचे और जहीर क्लब मैदान में जनसभा की। जनसभा के बाद जैसे ही उनका काफिला आगे बढ़ने लगा तभी ऐतिहासिक अशोक स्तंभ के पास उनके काफिले पर पथराव होने लगा। प्रशासन के तमाम प्रयास के बावजूद हिंदूवादी संगठन क्रांति रथ यात्रा में पथराव करने में सफल हो गए। पथराव के दौरान मुलायम सिंह यादव और साथ में मौजूद कई नेताओं को भी चोटे आई थी, उस समय भी मुलायम सिंह के जोश में कोई कमी नहीं आई। उन्होंने गरजते हुए कहा कि ‘मुलायम सिंह जिंदा रहे या ना रहे क्रांति रथ का पहिया चलता रहेगा।’ उनके इस उद्घोष के साथ ही क्रांति रथ अपने गंतव्य की ओर बढ़ता चला गया। नेताजी के हुंकार से बढा जोश उस समय की घटना में साक्षी रहे बबेरू विधानसभा से समाजवादी पार्टी के विधायक विशंभर सिंह यादव बताते हैं कि उस समय हम लोग छात्र राजनीति कर रहे थे। रथ यात्रा के दौरान डीएवी इंटर कॉलेज कानपुर के छात्र संघ के अध्यक्ष समरजीत सिंह और मैं स्वयं यात्रा में शामिल रहा। यात्रा के दौरान जब पथराव हुआ, तब हम लोगों को भी छोटे आई थी लेकिन नेताजी के हुंकार से कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ता रहा और यात्रा आगे बढ़ गई। रिपोर्ट - अनिल सिंह
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