नई दिल्ली: भारत के पूर्व कोच रवि शास्त्री घरेलू श्रृंखला में किसी भी प्लेयर को उप-कप्तान बनाने के खिलाफ हैं। रवि शास्त्री का मानना है कि ऐसे खिलाड़ी के लय में नहीं होने के कारण सर्वश्रेष्ठ एकादश के चयन में परेशानी होती है। शास्त्री ने यह भी संकेत दिया कि शुभमन गिल को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के बाकी बचे दो टेस्ट में लोकेश राहुल की जगह अंतिम एकादश में शामिल किया जाना चाहिए। राहुल के लंबे समय से लय में नहीं है। इस सलामी बल्लेबाज ने अपनी पिछली सात पारियों में 22, 23, 10, दो, 20, 17 और एक रन का स्कोर बनाया है। इसके उलट गिल सभी प्रारूपों में शानदार प्रदर्शन के बावजूद टेस्ट टीम में जगह मिलने का इंतजार कर रहे है।उपकप्तान ही हटा दोशास्त्री ने आईसीसी रिव्यू पॉडकास्ट में कहा, ‘टीम प्रबंधन उनके (राहुल) फॉर्म के बारे में जानता है, वे उनकी मानसिक स्थिति को समझते हैं। उन्हें पता है कि उन्हें गिल जैसे खिलाड़ी को किस नजर से देखना चाहिए। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि भारत में खेलते हुए उप-कप्तान नियुक्त नहीं करना चाहिए। मैं सर्वश्रेष्ठ एकादश के साथ मैदान पर उतरना पसंद करूंगा, और अगर किसी कारण से कप्तान को मैदान छोड़ना पड़ता है, तो उसकी गैरमौजूदगी में आप किसी दूसरे खिलाड़ी को टीम का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दे सकते है। उपकप्तान नियुक्त कर आपको जटिलताएं पैदा करने की आवश्यकता नहीं है।’ राहुल को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले दो टेस्ट के लिए उप-कप्तान नियुक्त किया गया था। वह आखिरी दो मैचों के लिए टीम अपना स्थान बरकरार रखने में सफल रहे लेकिन उन्हें उपकप्तान की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है। भारत के पूर्व कोच ने कहा, ‘अगर उपकप्तान प्रदर्शन नहीं करता है, तो कोई उसकी जगह ले सकता है। हो सकता है मेरी बातें ज्यादा कड़वी लगे लेकिन मुझे घरेलू परिस्थिति में उप-कप्तान पसंद नहीं है। हां विदेशी दौरे पर मामला अलग होता है।’शास्त्री ने कहा, ‘मेरे कार्यकाल (कोच) में पुजारा को टीम से बाहर किया गया था। उसने शतक के साथ वापसी की, राहुल को भी टीम से बाहर किया था और उसने ने शानदार वापसी की। आप टी20 प्रारूप के लय को टेस्ट क्रिकेट में नहीं ले जा सकते। भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और कई खिलाड़ी है जो टीम में जगह मिलने का इंतजार कर रहे है। मैं इसमें राहुल की बात नहीं कर रहा हूं मध्य क्रम और गेंदबाजी लाइनअप में भी कई मजबूत विकल्प हैं।’
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