Friday 24 February 2023

चीन, बंदूक और बच्चे, कंगाल पाकिस्तान की बर्बादी के तीन बड़े कारण... पूर्व पाकिस्तानी 'गवर्नर' ने खोल दी पोल

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय अपने पतन की ओर बढ़ रही है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह अचानक से नहीं हुआ है, बल्कि जानबूझकर हुई एक नीतिगत चूक का परिणाम है। पाकिस्तानी केंद्रीय बैंक (SBP) के पूर्व डिप्टी गवर्नर मुर्तजा सैयद ने अपने देश की पोल खोल दी है। उन्होंने तीन ऐसे कारण बताए हैं, जिसने पाकिस्तान को आज कंगाल कर दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान विदेशी मुद्रा भंडार में गंभीर रूप से कमी का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस समस्या का बीज तीन प्रमुख चीजों बंदूक, बच्चे और चीन ने बोया है।वह पाकिस्तान स्टेट बैंक के कार्यवाहक गवर्नर भी रह चुके हैं। उन्होंने बंदूक को 2001-2003 के दौरान आतंकवाद के खिलाफ युद्ध से जोड़ा। वहीं बच्चों को बढ़ती आबादी और चीन को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से जोड़ा। सैयद ने 'बंदूक' के संदर्भ का विवरण देते हुए कहा कि पाकिस्तान के पास 2001 के उदार ऋण पुनर्गठन के बाद आगे बढ़ने का एक वास्तविक मौका था। इस दौरान अमेरिका से बड़े पैमाने पर सहायता राशि आई। पाकिस्तान को वित्तीय निवेश और निर्यात को बढ़ावा देने की जरूरत थी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

चीन ने पाकिस्तान को किया बर्बाद

मुर्तजा सैयद आईएमएफ में भी काम कर चुके हैं। 2010 और 2014 के बीच वह चीन में IMF के रेसिडेंट प्रतिनिधि थे। उन्होंने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के बर्बाद होने के लिए 2006 में चीन के साथ होने वाले फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि चीन से समझौते से सिर्फ पाकिस्तान को नुकसान ही हुआ है। उन्होंने कहा कि चीन के साथ समझौते से पहले पाकिस्तान का निर्यात जीडीपी का औसतन 14 प्रतिशत और आयात 15 प्रतिशत था। ये लगभग संतुलित था। हालांकि समझौते के बाद निर्यात 11 फीसदी तक गिर गया, जबकि आयात 18-20 फीसदी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि ये पाकिस्तान के चालू घाटे का एक बड़ा कारण है।

बड़ी आबादी भी लाई बर्बादी

उन्होंने भारत और बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे दोनों देशों ने में चीन से आयात बढ़ा है। लेकिन उन्होंने कोई भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर नहीं किए। इसके अलावा उन्होंने बताया कि कैसे पाकिस्तान की बढ़ती जनसंख्या ने उसे पीछे धकेल दिया। उन्होंने कहा कि 1960 में पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रजनन दर 7 थी। यानी एक महिला 7 बच्चे पैदा कर रही थी। भारत में यह दर 6 थी। 1990 के दशक के मध्य में भारत और बांग्लादेश में यह घट कर 3.5 रह गई। पाकिस्तान में आबादी बढ़ी, लेकिन निर्यात नहीं। बड़ी आबादी ने आयात को बढ़ाया, जिससे अर्थव्यवस्था आज इस हालात तक पहुंच गई।


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