Friday, 7 April 2023

हिमाचल में भांग की खेती होगी लीगल! सुक्खू सरकार ने 5 सदस्यीय कमेटी का किया गठन

शिमला: हिमाचल में को लीगल करने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। यह कमेटी 1 महीने के भीतर सरकार को रिपोर्ट देगी, जिसके बाद कमेटी की सिफारिशों पर विभाग से जानकारी लेकर इसे आगे बढ़ाया जाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हाउस में कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसमें पक्ष विपक्ष के पांच सदस्यों को लिया गया। राजस्व, बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में यह कमेटी अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।बजट सत्र के आखिरी दिन नियम 63 के तहत भांग की खेती को लीगल करने की अल्पकालीन चर्चा का जवाब देते हुए सीएम ने कहा कि भांग का उपयोग सही तरीके से कई बीमारियों का उपचार करने में इस्तेमाल हो सकता है। उन्होंने कहा कि पत्तियों और इसके बीज पर नियम बनाए जा सकते हैं। इस बारे में सोचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे कैंसर, ब्लड शुगर, डिप्रेशन, एलमाइजर को कम किया जा सकता है। सीएम ने कहा कि एनडीपीसी एक्ट 1985 के तहत कई राज्यों के कुछ जगहों पर अफीम की खेती वैद्य तरीके से की जा रही है, जबकि उतराखंड में औद्योगिक क्षेत्रों के लिए भांग की खेती की जा रही है। सीएम ने कहा कि एनडीपीसी एक्ट 1985 के सेक्शन 10 में राज्यों को भांग की खेती, उत्पादन और इसके क्रय व विक्रय का अधिकार है। ऐसे में परिस्थितियों के हिसाब से इस पर निर्णय लिए जाएंगे। ऐसे में इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा, जिसमें विधायक हंसराज, डॉ. जनकराज, सुंदर सिंह ठाकुर, पूर्णचंद होंगे। कमेटी की अध्यक्षता जगत सिंह नेगी करेंगे, यह कमेटी एक महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। सीएम ने कहा कि कमेटी की और से दिए गए सुझावों से भांग के औषधीय गुणों को समझने का ज्यादा मौका मिलेगा।भांग की खेती युवाओं के रोजागार से जुड़ीः पूर्णचंदभांग की खेती को वैद्य किए की चर्चा में भाग लेते हुए विधायक पूर्णचंद ठाकुर ने कहा कि यह लोगों के रोगजार के साथ जुड़ा हुआ मामला है। उन्होंने कहा कि जहां इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं सरकार की आय में भी बढ़ौतरी होगी। भांग की खेती गरीब परिवार का पालन पोषण करती है। उन्होंने कहा कि उनके विस क्षेत्र द्रंग में 50 ऐसी पंचायतें हैं जो ओबीसी के अंतर्गत आती है, कमाई का यहां पर दूसरा कोई भी साधन नहीं है। यहां पर भांग की 3-3 फसले होती है। ऐसे में अगर खेती को लीगल किया जाता है तो रोजगार के कई साधन निकल कर आएंगे। उन्होंने कहा कि इसके तेल का प्रयोग आयुर्वेद में इस्तेमाल होता है। लोग अगर इसका सेवन सही तरीके से करें तो वह कई बीमारियों से ठीक होते हैं। अगर भांग की खेती के लाइसैंस दिए जाते हैं तो इससे सरकार को आमदनी होगी।इजराइल ने भांग से बनाई कोरोना की दवाः सुंदर सिंहविधायक सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा कि जब वह विपक्ष में थे उस समय भी इस विषय पर बोलते थे, लेकिन इसे सीरियस नहीं लिया जाता था। उन्होंने कहा कि आज के समय में अगर किसी ने घर में भांग से बनी रस्सी रखी है तो उसे रखना भी अवैध है। उन्होंने कहा कि यह चंबा, कांगड़ा, शिमला समेत पहाड़ी क्षेत्रों से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा कि 2021-22 में पूर्व सीएम ने बजट में कहा था कि इस पर पाॅलिसी बना रहे हैं। लेकिन कुछ नहीं हुआ। इससे कैंसर, ट्यूमर, समेत कई रोगों की दवाएं बनती है। उन्होंने कहा कि इजराइल ने भी भांग से कोरोना की दवा बनाई थी, इसके अलावा हमें भांग को चिट्टे से नहीं जोड़ना चाहिए।भांग की नशीली व औद्योगिक खेती में अंतरः शौरीविधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा कि जब भी हम भांग की खेती की बात करते हैं तो हम नशे की ओर जाते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि भांग की नशीली और औद्योगिक खेती में अंतर है। उन्होंने कहा कि भांग का नशे वाला पौधा 2 से 3 फुट का होता है, जबकि औषधीय गुण वाला पौधा 10 से 12 फूट का होता है। भांग के पौधे में 30 फीसदी नशा होता है, जबकि औषधीय पौधे में 0.03 फीसदी नशा होता है। हिमाचल में नशा न होने वाले पौधे को विकसित किया जा सकता है।डॉक्टरों की सलाह से ले तो भांग अच्छी दवाः हंसराजविधायक हंसराज ने कहा कि अगर भांग को डॉक्टरों की सलाह पर सही मात्रा में लिया जाए तो यह अच्छी दवा है, उन्होंने कहा कि उनकी बेटी बीमार हुई थी, जिसे डाॅक्टरों ने भांग का तेल लेने के लिए कहा था, सही मात्रा में तेल लेने पर वह ठीक हो गई। इसके अलावा उन्होंने कहा कि उनके दादा भी 90 साल की उम्र तक हल्की-हल्की भांग लेते थे, वह हमेशा ठीक रहे, लेकिन अब वह नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोग पैसे कमाने के चक्कर में फंस जाते हैं, उनके चुराह, भरमौर और डलहौजी में 600 लोग अंदर गए हैं, जबकि 400 पर केस है, यह सब वह है जो परिवार चलाने के लिए पैसा कमाना चाह रहे थे।भांग को लीगल करना बेहद जरूरीः डॉ जनकराजविधायक डॉ. जनकराज ने कहा कि जब वह पढ़ाई के लिए मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में रहते थे तो वहां पर उन्होंने कई जगह पर लाइसेंस जगह देखी, जहां पर सही तरीके से इन्हें बेचा जाता था। उन्होंने कहा कि नशे के लिए तो हम इस्तेमाल करते हैं, लेकिन औषधीय गुणों का ज्ञान नहीं। उन्होंने कहा कि भां ग के अतिरिक्त एक और पौधा अफीम की खेती को भी लीगल किया जाना चाहिए। अफीम से कैंसर, एक्सीडेंट मरीजों का उपचार, मेडिसिन और आयुर्वेदिक में इसका प्रयोग होता है। इसके अलावा मृगी का दौरा, ब्लड कैंसर, किमाथेरेपी, न्यूरो से संबंधित बीमारी में भी दर्द कम करने में इसका प्रयोग किया जाता है। इतना ही नहीं अलसर में भी इसका प्रयोग किया जाता है।


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