Sunday 12 March 2023

पश्चिम बंगाल में फिर वंदे भारत एक्सप्रेस पर चले पत्थर, फरक्का में टूटी कोच खिड़की

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में फिर एक बार वंदे भारत एक्सप्रेस पर पत्थरबाजी की घटना घटी है। इस बार पत्थर मुर्शिदाबाद से सटे फरक्का के आस -पास फेंके गए। पत्थर से सी-13 कोच की खिड़की टूटी है। वहीं पूर्व रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी कौशिक मित्रा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना कहा है। बता दें कि यह वंदे भारत पर पत्थरबाजी की पांचवीं घटना है। रविवार रात करीब साढ़े दस बजे वंदे भारत हावड़ा यात्रियों का कहना है कि ट्रेन शाम साढ़े सात बजे तक फरक्का पार कर रही थी। तभी पथराव हुआ। पश्चिम बंगाल की कि हावड़ा न्यू जलपाईगुड़ी वंदे भारत एक्सप्रेस शनिवार देर शाम मुर्शिदाबाद के फरक्का से गुजर रही थी, तभी ट्रेन पर पत्थर फेंके गए। यह पश्चिम बंगाल में इस तरह की तीसरी घटना है इसके पहले भी पश्चिम बंगाल में ट्रेन पर हमला किया गया था।

यात्री सुरक्षा पर उठे सवाल

को लेकर फिर एक बार यात्री सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। यात्री रिपन दे ने कहा, ' मैं सी-3 कोच में था। मेरा ही एक साथी सी-13 में थे। उन्होंने ही मुझे कर जानकारी दी। वंदे भारत से हावड़ा पहुंचे यात्रियों ने कहा कि बार-बार ऐसी घटनाएं क्यों होंगी। सरकार को इस बात का हल निकलना चाहिए। सरकार एक अच्छी सुविधा दे रही है। यात्री उससे खुश भी हैं, फिर इस तरह की घटना क्यों? इस तरह कई पत्थरबाजी कई बार हो चुकी है। सरकार को इस पत्थरबाजी का कोई हल निकालना चाहिए। इससे यात्री क्यों खतरे में पड़े?' उनके साथी ने तुरंत इसकी सूचना रेलवे को दी और बाद में रेलवे ने आकर उनसे पूछताछ भी की।

इसके पहले भी हुआ है पथराव

इसके पहले बिहार के कटिहार के पास से गुजर रही ट्रेन पर पथराव किया गया था। डाउन वंदे भारत एक्सप्रेस के यात्रियों ने दालखोला स्टेशन को पार करते समय पथराव की सूचना दी थी। एक बार बिहार के कटिहार के बलरामपुर कोच सी-6 खिड़की का शीशा टूट गया था भारत पर फिर पथराव हुआ। राकेश दे नाम के एक यात्री ने बताया कि उन्हें काम के सिलसिले में समय-समय पर आना-जाना पड़ता है। आज एक बच्चा खिड़की के सामने बैठा था। अगर ऐसा ही चलता रहा तो किसी भी दिन कुछ बड़ा हो सकता है।

रेलवे करे कड़ी कार्रवाई

एक यात्री ने कहा, 'पत्थरबाजी की घटना को छोटा नहीं समझना चाहिए। यह घटना वास्तव में हमारे सामाजिक संकीर्ण मानसिकता की निशानी है। इस घटना के पीछे लोगों की संकीर्णता ने राज्य की छवि को धूमिल किया है। इस तरह के जघन्य कार्य तब तक संभव नहीं हैं। सुरक्षा में थोड़ी ढील देने पर ही इस तरह की घटना होती है। रेलवे को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।


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