नई दिल्ली: आप यूपी-बिहार जैसे उत्तर भारतीय राज्यों से हैं तो (Tadi) को अवश्य जानते होंगे। इसे गरीबों का स्कॉच भी कहा जाता है। ताड़ी जहां बिकता है, उसे कहते हैं। यह वही दुकान है, जहां ताड़ या खजूर की ताड़ी मिलती है। उसके साथ ही चखना का भी इंतजाम होता है। एक लबनी ताड़ी और ढेर सारा चखना, बस हो गया शाम की पार्टी का इंतजाम। लेकिन ताड़ी की दुकान को देख कर बहुत सारे लोग इससे परहेज करते हैं। ताड़ी की दुकान, मतलब एक टूटी फूटी झोपड़ी। उसी में कुछ घड़े में ताड़ी रखी होती है। कुछ ग्लास या चुक्कड़ होता है। बाहर चखने की दुकान होती है। उस पर मक्खियां भिनभिनाती रहती है। ताड़ी की दुकान की इस सूरत को बदल रहा दक्षिण भारतीय राज्य केरल। वहां की सरकार ने इसे बार का रूप देने की योजना बनाई है। इसका स्टार क्लासिफिकेशन भी होगा। जो दुकान जितनी अच्छी और साफ सुथरी, उसे उतने स्टार।
केरल सरकार बना रही है नीति
न्यूज एजेंसी आईएएनएस की एक खबर के मुताबिक केरल में ताड़ी की दुकानों में बड़ा बदलाव आने वाला है। एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि नए वित्तीय वर्ष में केरल सरकार की शराब नीति से ताड़ी की दुकानों में बड़ा बदलाव आएगा। इस नीति में राज्य की लगभग 3,500 ताड़ी की दुकानों के वर्गीकरण के साथ आगे बढ़ने पर विचार कर रही है। इसके मुताबिक ताड़ी के बार को भी होटलों तरह स्टार रेटिंग मिलेगी।केरल में ताड़ी को कहते हैं टोडी
केरल में ताड़ी को तोडी (Toddy) कहते हैं। इसे नारियल और खजूर के पेड़ से निकाला जाता है। वहां नारियल के पेड़ अधिक हैं, इसलिए अधिकतर टोडी नारियल की ही होती है। टोडी के फर्मेंटेशन हो जाने के बाद इसमें अल्कोहल की मात्रा 5 से 8 प्रतिशत हो जाती है। इसलिए इसे पीने के बाद इंसानों पर मस्ती छा जाती है। नारियल के पेड़ उगाने वाले किसानों को नारियल बेच कर आमदनी तो होती ही है, टोडी से भी आमदनी होती है।टोडी शॉप का चखना भी होता है मजेदार
केरल के टोडी शॉप में जो चखना सर्व किया जाता है, वह भी एक बड़ा आकर्षण होता है। वहां स्थानीय रूप से पकड़ी गई मछलियों और चिकन के व्यंजन मिलते हैं। वहां टोडी शॉप पर स्थानीय लोगों की तो भीड़ रहती ही है, टूरिस्ट भी खूब पहुंचते हैं। आज कल तो अलपुझा और कुछ अन्य जिलों में महिलाएं भी टोडी शॉप पर देखी जा सकती हैं। शायद इसलिए सरकार चाहती है वहां का स्वरूप बदले। साफ-सफाई बेहतर हो।from https://ift.tt/EX9IHao
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