मॉस्को: रूस ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दौरे का संबंध भारत से जोड़ने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। रूस ने कहा है कि उसे उन एक्सपर्ट्स पर तरस आता है, जो भारत रूस रक्षा संबंधों के बारे में ऐसा सोच रहे हैं। रूस ने पहले भी कई बार कहा है कि रूस-चीन संबंधों को भारत-रूस संबंधों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। दोनों देशों के साथ रूस के रिश्ते अलग-अलग हैं। दरअसल, यूक्रेन पर रूस के हमले के एक साल बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग शांति का एक प्रस्ताव लेकर मॉस्को पहुंचे थे। हालांकि, पश्चिमी देशों का दावा है कि उनकी यात्रा शांति के लिए कम बल्कि रूस का समर्थन करने के लिए ज्यादा थी। चीन ने रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में लाए गए हर एक प्रस्ताव का विरोध किया है।
रूस ने क्या-क्या कहा
भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि शी जिनपिंग की रूस यात्रा के परिणामों को लेकर इन दिनों विश्लेषणों की बाढ़ आई हुई है। ऐसा लगता है कि भारत के कई प्रतिष्ठित विशेषज्ञ रूस-चीन संबंधों को रूस-भारत स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप को नुकसान पहुंचाने वाला मान रहे हैं। यह उनकी निजी सोच का मामला है, लेकिन हमें उन पर तरस आता है। रूसी राजदूत की इस टिप्पणी को तंज के तौर पर देखा जा रहा है। भारत ने भी यूक्रेन युद्ध में रूस की खुलकर आलोचना नहीं की है। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन से मुलाकात के दौरान युद्ध के खिलाफ बयान जरूर दिया है। पीएम मोदी ने कहा था कि यह समय युद्ध का नहीं है।शी जिनपिंग के रूस दौरे पर क्या हुआ
चीन ने शी जिनपिंग की रूस यात्रा को मित्रता, सहयोग एवं शांति की यात्रा करार दिया था। जिनपिंग ने मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ दो दिनों तक बातचीत की थी। इस दौरान उन्होंने पुतिन को यूक्रेन युद्ध को खत्म करने वाला प्लान भी समझाया। चीन और रूस के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने और व्यापार को नए मुकाम पर पहुंचाने पर सहमति बनी थी। पुतिन और जिनपिंग ने अपनी बातचीत के दौरान नाटो के विस्तार पर भी चिंता जताई थी। दोनों देशों ने नाटो के खिलाफ एक साथ काम करने पर भी हामी भरी थी।भारत-रूस संबंधों पर एक्सपर्ट्स क्या कह रहे
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर रूस के संबंध चीन के साथ मजबूत होते हैं तो उसका असर भारत के साथ रिश्तों पर पड़ सकता है। भारत का चीन के साथ पुराना सीमा विवाद है। 2020 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़पें भी हो चुकी हैं। इसके बाद से ही भारत और चीन की सेनाएं सीमा पर तैनात हैं। उस दौरान रूस की मध्यस्थता से ही भारत और चीन के बीच तनाव कम करने में मदद भी मिली थी। रूस इस समय पश्चिमी देशों के बहिष्कार का सामना कर रहा है। ऐसे में उसे चीन जैसे ताकतवर देश के मदद की जरूरत है। इस कारण रूस, भारत की अपेक्षा चीन को खुश करने में ज्यादा प्रयास करता दिखाई दे सकता है।from https://ift.tt/nXBFU9Y
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