ऊधम सिंह नगर: अपने जिगर के टुकड़े के लिए तो मां मौत से भी लड़ जाती है, लेकिन एक निर्दयी मां ने अपनी 27 दिन की बेटी को सिर्फ इसलिए मौत के घाट उतार दिया कि उसे बेटी नहीं बल्कि बेटा चाहिए था। जिस मासूम को मां के अलावा और किसी रिश्ते का एहसास तक नहीं था। उसी मां ने बेटा न होने का गुस्सा उस मासूम पर निकाला और उसे गला घोंट कर उसे मौत की नींद सुला दिया। कहते हैं कि बेटियां पापा की लाडली होती हैं लेकिन यहां तो मां के साथ-साथ पिता ने भी उस नन्हीं मुस्कुराती बच्ची की जिंदगी छीन ली। मासूम को मारते हुए इस कलियुगी मां का कलेजा एक बार भी नहीं कांपा। इस कलयुगी मां को अतिरिक्त सत्र अदालत ने बेटी की हत्या में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जबकि सबूत छिपाने के लिए महिला के पति को चार साल की सजा हुई है। खुद ही दर्ज कराई थी गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस के मुताबिक, खटीमा थाना क्षेत्र पचौरिया गांव में विजय कुमार ने 19 दिसंबर 2019 को बेटी की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। विजय के अनुसार उसकी पत्नी निशा उर्फ नगमा 15 दिसंबर को अपनी 27 दिन की बेटी प्रियांशी के साथ सो रही थी। इसी दौरान किसी ने उसकी बेटी का अपहरण कर लिया। बेटी नहीं बेटा चाहिए था मासूम के अपहरण की सूचना पर जब पुलिस ने छानबीन की तो प्रियांशी का शव शारदा नहर के पास से बरामद हुआ। जांच के दौरान यह सामने आया कि खुद निशा ने ही बेटी की हत्या की थी। निशा को बेटी नहीं चाहिए थी और इसीलिए उसने उस मासूम का गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने बच्ची की हत्या के आरोप में निशा को गिरफ्तार कर लिया। जबकि सबूत छिपाने के आरोप में उसके पति विजय कुमार को भी गिरफ्तार किया था। पति भी दोषी करार अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्म सिंह ने निशा को बच्ची की हत्या करने और उसके पति विजय को सबूत छिपाने में दोषी पाया। कोर्ट ने निशा को आजीवन कारावास तथा विजय को चार साल की सजा सुनाई हैा साथ ही निशा और विजय पर आठ हजार और चार हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इनपुट-रश्मि खत्री
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