Thursday, 22 December 2022

बिहार का वह दानवीर जमींदार, जो सबकुछ न्योछावर कर बन गया फकीर

सिवान: आज (22 दिसंबर) मौलाना मजहरूल हक की 156वीं जयंती है। सिवान शहर से करीब 12 किलोमीटर दूर हुसैनगंज प्रखंड के छोटे से गांव फरीदपुर में मौलाना साहब ने अपने लिए एक घर बनाया था, जिसका नाम उन्होंने आशियाना रखा। इसी घर में मौलाना साहब ने आखिरी सांस ली थी। इसके बाद यहां मौलाना साहब की मजार बनाई गई। जहां हर साल 22 दिसंबर को जिला प्रशासन की ओर से उनकी जयंती मनाई जाती है। उनके मजार पर चादरपोशी की जाती है। इस दौरान जिले के सभी विभागों का स्टॉल लगता है। जहां सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाती है।

हिन्दू- मुस्लिम एकता की मिसाल थे मौलाना मजहरूल हक

मौलाना मजहरूल हक का जन्म पटना के मनेर थाना क्षेत्र के ब्रह्मपुर गांव में एक जमींदार परिवार में हुआ था। उन्होंने सन 1886 में पटना कॉलेजिएट स्कूल से मैट्रिक पास किया और फिर 1887 में लखनऊ के कैनिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया। मगर, यहां कॉलेज का सिस्टम उन्हें रास नहीं आया। इसके बाद वे लंदन चले गए। जहां से उन्होंने बैरिस्टरी की डिग्री ली। लंदन में ही पहली बार महात्मा गांधी से उनकी मुलाकात हुई थी। महात्मा गांधी मौलाना साहब के विचारों से बेहद प्रसन्न हुए। 1891 में बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी कर मौलाना देश लौट आए। और यहां वकालत की प्रैक्टिस शुरू कर दी। लेकिन महात्मा गांधी के आह्वान पर उन्होंने वकालत छोड़ देश की आजादी के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया। मौलाना साहब ने पटना की अपनी पैतृक जमीन कांग्रेस को दान दे दिया। जिस पर आज सदाकात आश्रम है।

आशियाना पर मोतीलाल नेहरु और मालवीय भी आए थे

1900 में मौलाना साहब ने सिवान को अपना कर्मभूमि बना ली। जिले के हुसैनगंज प्रखंड के फरीदपुर गांव में उन्होंने आशियाना का निर्माण कराया। उस समय मौलाना का आशियाना राजनीतिक हलचल का केंद्र हुआ करता था। आशियाना में 1926 में पंडित मोतीलाल नेहरू, 1927 में सरोजनी नायडू व 1928 में मदन मोहन मालवीय, केएफ नरीमन व मौलाना अबुल कलाम आए थे। मौलाना मजहरूल हक को उनके कार्यों के लिए कौमी एकता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। फरीदपुर स्थित आशियाना में उन्होंने 2 जनवरी 1930 को अंतिम सांस ली।

सिर्फ घोषणाओं तक सीमित रहा आशियाना का ख्वाब

पूर्व में मौलाना मजहरूल हक की जयंती के मौके पर सरकार के नुमाइंदों द्वारा आशियाना को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का आश्वासन दिया था। यहां इंटर कॉलेज बनाने की भी घोषणा की गई थी। मौलाना साहब के पोते अब्दुल्लाह फारूकी बताते हैं कि मंत्री के इंटर कॉलेज बनाने की घोषणा के बाद उन्होंने जमीन की स्वीकृति भी दे दी। पटना जाकर भी मिले लेकिन नतीजा आज तक शिफर ही रहा। विकास यात्रा पर सीवान आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष पटना में संचालित मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी कॉलेज की एक शाखा आशियाना में खोले जाने का प्रस्ताव रखा गया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री भी सकारात्मक आश्वासन दिए किंतु ये आश्वासन भी आज तक पूरा नहीं हो सका। स्थानीय पत्रकार खुर्शीद आलम ने कहा कि तत्कालीन शिक्षा मंत्री पीके शाही द्वारा यहां महिला कॉलेज खोलने की घोषणा सिर्फ जुमला साबित होकर रह गया। कुल मिलाकर आशियाना के साथ सरकार के नुमाइंदों ने विभिन्न मौके पर घोषणाएं तो बहुत की लेकिन उसे धरातल पर नहीं उतारा जा सका। रिपोर्ट: दीनबंधु सिंह


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