Thursday 15 December 2022

गुजरात की राजनीति में कैसे चमके हर्ष संघवी, जानिए 2011 की उस घटना से लेकर गृह मंत्री बनने तक का सफर

अहमदाबाद: सूरत की मजूरा सीट से तीसरी बार जीतकर दूसरी बार गृह राज्य मंत्री बने () गुजरात की राजनीति के चर्चित चेहरा हैं। हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) के प्रशंसक और समर्थक उनमें भविष्य के मुख्यमंत्री बनने की क्षमता देखते हैं। 8 जनवरी, 1985 को जन्में हर्ष संघवी एक गुजराती परिवार से आते हैं। उनके पिता रमेश संघवी डायमंड के बिजनेस में हैं। जनवरी में 38 साल की उम्र पूरी करने जा रहे हर्ष संघवी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल सभी के चहेते हैं। सोशल मीडिया पर फॉलोवर्स की संख्या देखें तो हर्ष संघवी मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल से भी आगे हैं। एक आम सूरती युवा से गुजरात के गृह राज्य मंत्री बनने का हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) का सफर काफी दिलचस्प है। पिता के बिजनेस से इतर प्रॉपर्टी के काम को सक्रिय हर्ष संघवी की शुरुआत से ही सामाजिक मुद्दों को उठाने में दिलचस्पी थी। 2005-2008 में जब सूरत को स्थायी एयर कनेक्टिीविटी देने की मांग उठ रही थी, तो हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) भी इससे जुड़े और इस मुद्दे को खूब उठाया। इस दौरान हर्ष संघवी ने महसूस किया कि ऐसी समस्याओं के समाधान में राजनीति की भूमिका अहम है। तो हर्ष संघवी ने बीजेपी ज्वाइन करने का फैसला किया। हर्ष ने अपने एक मित्र की मदद से बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। पार्टी ने हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) के उत्साह को देखते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा गुजरात के महामंत्री की जिम्मेदारी दी गई सौंपी। इसके बाद हर्ष संघवी पार्टी की गतिविधियों में सक्रिय हो गए। इसके बाद हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) नवसारी से पहली बार जीते सी आर पाटिल के संपर्क में भी आए। श्रीनगर पहुंचकर लहराया तिरंगा 2010 में बीजेपी ने अनुराग ठाकुर को युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाने के बाद 2011 में कलकत्ता से कश्मीर तक राष्ट्रीय एकता यात्रा निकालने का फैसला किया। इस यात्रा में पार्टी के नेताओं के साथ युवा मोर्चा के पदाधिकारियों को अहम भूमिका अदा करनी थी। कश्मीर की तरफ कूच कर रही एकता यात्रा को जम्मू में रोक लिया गया तो उस वक्त के युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने पुलिस लाइन में ही तिरंगे झंडे़े को फहरा दिया, लेकिन यात्रा के स्वागत के लिए श्रीनगर पहुंचे हर्ष संघवी ने यात्रा के उद्देश्य को पूरा करते हुए श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा लहराया। इस दौरान हर्ष संघवी को पुलिस की ज्यादती का भी शिकार होना पड़ा। इस घटना के बाद हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) केंद्रीय नेताओं की नजर में आ गए है। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भी हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) की जाबांजी पसंद आई। 2012 में मिला टिकट गुजरात बीजेपी ने 2012 के चुनाव में सूरत की मजूरा सीट से हर्ष संघवी को टिकट दी। 27 साल के हर्ष संघवी ने इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार धनपत राज जैन को 71 हजार से अधिक मतों से करारी शिकस्त दी और विधानसभा में सबसे युवा विधायक बनकर पहुंचे। इसके बाद हर्ष संघवी ने मुड़कर नहीं देखा। हर्ष की इस कामयाबी के बाद पार्टी ने उन्हें युवा मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया। 2017 के चुनाव में हर्ष संघवी को फिर से मजूरा से लड़ने का मौका मिला तो हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) ने जीत का अंतर बढ़ाकर 85,827 वोटों का कर दिया। 36 साल में बने गृह राज्य मंत्री सितंबर, 2021 जब राज्य में बीजेपी ने नो रिपीट थ्योरी लागू की। तो 36 साल के हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) को प्रदेश का गृह मंत्री बनाया गया। इसके अलावा हर्ष संघवी को खेल विभाग भी मिला। 2022 के चुनाव में हर्ष संघवी (Harsh Sanghavi) ने तीसरी बार मजूरा से लड़े और एकतरफा जीत हसिल की। इस बार जीत का अंतर 1,16,675 वोटों का कर दिया। आम आदमी पार्टी के पीवीएस सरमा मुश्किल से अपनी जमानत बचा पाए। हर्ष संघवी को बड़ी जीत का फिर से इनाम मिला। पार्टी ने जहां मंत्रियों को बदल दिया तो हर्ष संघवी अपनी कुर्सी न सिर्फ बचाने में सफल रहे बल्कि कई विभागों का स्वतंत्र प्रभार हासिल किया। हर्ष संघवी भूपेन्द्र पटेल के मंत्रिमंडल के सबसे सक्रिय मंत्री हैं।


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