Thursday 29 December 2022

लालू केस में CBI जांच पर सवाल उठाने से पहले नीतीश भूल गए अपने 5 बयान, पढ़ लीजिए क्या-क्या कहा था

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं। सार्वजनिक मंचों से कहते हैं कि वो न किसी को बचाते हैं और न किसी को फंसाते हैं। नीतीश कुमार ने सीबीआई की ओर से लालू के खिलाफ खोले गए एक केस को लेकर केंद्र पर तगड़ा तंज कसा है। नीतीश कुमार ने आईआरसीटीसी मामले में लालू के खिलाफ नया केस खोलने पर कहा कि आगे-आगे देखिए ये लोग क्या-क्या करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम साथ आ गए हैं, इसलिए ये सब किया जा रहा है। नीतीश कुमार इन दिनों बिहार की यात्रा पर निकलने की तैयारी में जुटे हैं। उन्होंने मीडिया को बताया कि जल्द ही अपनी यात्रा से जुड़ी बातें साझा करूंगा। लालू के समर्थन में दिये गये इस बयान के मायने समझने से पहले हम आपको नीतीश कुमार के उन बयानों से रूबरू करवाते हैं, जो उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ दिये हैं।

भ्रष्टाचार पर नीतीश का पहला बयान

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 28 नवंबर 2017 को अपने बयान में लालू के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आग उगला था। नीतीश ने तीन दिनों तक लगातार ट्वीट किया और लालू प्रसाद पर भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा हमला बोला। लालू पर तंज कसते हुए नीतीश ने कहा था कि भ्रष्टाचार शिष्टाचार है, उसके खिलाफ कार्रवाई अनाचार है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि राज्य सरकार द्वारा 'Z' Plus और SSG की मिली हुई सुरक्षा के बावजूद केंद्र सरकार से NSG और CRPF के सैकड़ों सुरक्षा कर्मियों की उपलब्धता के जरिए लोगों पर रौब गांठने की मानसिकता, साहसी व्यक्तित्व का परिचायक है! इस ट्वीट के जरिए नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद और उनके परिवार के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर तंज कसा था। उसके बाद अगले दिन 29 सितंबर को नीतीश ने लालू पर हमला बोलते हुए कहा कि जान की चिंता, माल-मॉल की चिंता, सबसे बड़ी देशभक्ति है !

भ्रष्टाचार पर नीतीश का दूसरा बयान

नीतीश कुमार ने अगस्त 2017 में पहली बार महागठबंधन से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नाता तोड़ा, तब भी भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा बयान दिया। नीतीश ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद मीडिया से कहा कि महागठबंधन की सरकार को 20 महीने से ज्यादा चलाया। हमने गठबंधन धर्म का पालन किया। निरंतर काम करने की कोशिश की। जितना भी संभव हुआ हमने काम करने की कोशिश की। लेकिन इस बीच में जो चीजें उभर कर सामने आईं। अब उस माहौल मेरे लिए काम करना संभव नहीं है। नीतीश कुमार ने आगे कहा था कि तेजस्वी के मुद्दे पर हमने राहुल गांधी से बात की, राज्य के कांग्रेस नेताओं से भी बात की। हमने कांग्रेस से भी कहा कि कुछ ऐसा करें जिससे रास्ता निकले। लेकिन कोई रास्ता नहीं निकला। हमने तो नोटबंदी का समर्थन किया था, जिस कारण मेरे ऊपर पता नहीं कौन-कौन से आरोप लगे। उन्होंने ये भी कहा कि हमने अंतरआत्मा की आवाज सुनकर इस्तीफा देने का फैसला लिया। राज्यपाल ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। वैकल्पिक व्यवस्था होने तक सरकार चलाएंगे।

भ्रष्टाचार पर नीतीश का तीसरा बयान

ये तो रहे दो बयान। चार महीने पहले केरल में एक सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने बिहार सरकार वर तंज कसते हुए कहा कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए कुछ राजनीतिक दल खुलकर सामने आ गए हैं। संगठित होने का प्रयास कर रहे हैं। देश और केरल के लोगों को इनसे लगातार सतर्क रहना है। इसी बयान को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिना नाम लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कोई किसी भ्रष्टाचारी को कैसे बचा सकता है? खुद ही सोचना चाहिए न। नीतीश ने कहा कि इधर-उधर राज्यों में जो कुछ हो रहा है कि कहां से किसी को लाया जाए, वो लोग अपना समझे। हमने तो कभी भी भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया है।
भ्रष्टाचार पर नीतीश का चौथा बयान
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई मौकों पर भ्रष्टाचार को लेकर बयान देते रहे हैं। नीतीश ने कई मौकों पर विधानसभा के अंदर भी कहा है कि वे भ्रष्टाचार के समझौता नहीं कर सकते। लेकिन, जिस लालू पर उन्होंने कही भ्रष्टाचारी होने का आरोप लगाते हुए उनसे गलबहियां डालने से बचते रहे। उसी लालू यादव के समर्थन में मुख्यमंत्री ने बयान दिया। नीतीश ने केंद्र पर तंज कसते हुए कहा कि हम लोग किसी भ्रष्टाचारी को बर्दाश्त नहीं करते हैं। कोई किसी भ्रष्टाचारी को बचाएगा? नीतीश कुमार ने बगैर किसी का नाम लिए कहा कि इधर उधर जो कुछ राज्यों में हो रहा है कहां से किसको लाने का तो वो लोग सोचे अपना। हम लोगों ने तो इतने दिनों में कभी भ्रष्टाचारियों को बर्दाश्त नहीं किया।
भ्रष्टाचार पर नीतीश का पांचवा बयान
वहीं, पटना में आयोजित हुए आईटी इन्वेस्टर कॉनक्लेव में बोलते हुए नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात कही। नीतीश कुमार ने कहा कि भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए तकनीक विकसित करना बड़ी चुनौती है। अगर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की फुलप्रुफ तकनीक विकसित हो जाये तो फिर साइबर क्राइम पर भी अंकुश लग सकेगा। आपको बता दें कि नीतीश कुमार ने 2005 से लेकर 2020 तक बिहार सरकार (Bihar Government) में भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद कई मंत्रियों का इस्तीफा ले लिया था। वैसे भ्रष्टाचार के आरोप पर जीतन राम मांझी समेत करीब छह मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया गया या बर्खास्त कर दिया। 2020 जेडीयू मेवालाल चौधरी जब शिक्षा मंत्री बने और भ्रष्टाचार का आरोप लगा, तब नीतीश ने इस्तीफा ले लिया। 2018 जेडीयू मंजू वर्मा जब मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड में पति के नाम के साथ फंस गईं। तब नीतीश कुमार ने उनका इस्तीफा ले लिया था। 2015 जेडीयू अवधेश कुशवाहा जब निबंधन उत्पाद मंत्री बने और भ्रष्टाचार का आरोप लगा, तब इस्तीफा ले लिया गया। 2008 आरएन सिंह (परिवहन मंत्री) को एक मामले में नाम आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा। 2005 जीतन राम मांझी से फर्जी डिग्री घोटाला मामले में नीतीश ने इस्तीफा ले लिया था।


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