वॉशिंगटन : अंतरिक्ष में मौजूद विशालकाय चट्टानें यानी ऐस्टरॉइड हमेशा इंसानों को चौंकाती रही हैं। धरती पर सबसे बड़े प्रलय के पीछे ऐस्टरॉइड ही थे जिसमें डायनासोर का सफाया हो गया था। भविष्य में इंसानों को उस खतरे का सामना न करना पड़े इसलिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने डार्ट मिशन की शुरुआत की है। डबल ऐस्टरॉइड रिडायरेक्शन टेस्ट एक ऐसा डिफेंस सिस्टम है जो ऐस्टरॉइड की दिशा और गति को प्रभावित कर सकता है। लेकिन क्या यह संभव है कि ऐस्टरॉइड से डरने के बजाय इंसान उस पर जाकर बस सके और ब्रह्मांड के उन इलाकों में कदम रख पाए जहां पहले कभी कोई नहीं गया। पहली बार में यह सुनने में भी अकल्पनीय लग सकता है लेकिन नया अध्ययन इसका दावा करता है। नासा ने इन शहरों का डिजाइन 1970 के दशक में ही तैयार कर लिया था। यह अध्ययन Frontiers in Astronomy and Space जर्नल में प्रकाशित हुआ था। फिलहाल यह सिर्फ एक लिखित परिकल्पना का हिस्सा है और रिसर्च पेपर यह स्वीकार करता है कि वर्तमान या निकट भविष्य में इसे संभव बनाने के लिए हमारे पास अनिवार्य टेक्नोलॉजी नहीं है। हालांकि अध्ययन का सबसे अधिक जोर इस बात पर है कि ऐस्टरॉइड पर इंसानों के शहर का कॉन्सेप्ट पूरी तरह संभव है।
नासा के भौतिकविद ने देखा था सपना
प्रोजेक्ट पर काम करने वाले फिजिक्स प्रोफेसर एडम फ्रैंक ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा, 'जाहिर सी बात है कि निकट भविष्य में कोई भी ऐस्टरॉइड पर शहर बसाने नहीं जा रहा है। लेकिन इस तरह की इंजीनियरिंग को संभव बनाने के लिए जिस टेक्नोलॉजी की जरूरत है, वह फिजिक्स के नियमों के खिलाफ नहीं है।' नासा को भी इस पर भरोसा है। 1972 में भौतिकविद गेरार्ड ओनील ने एक ऐसे अंतरिक्ष आवास का डिजाइन तैयार किया था जिसके माध्यम से इंसान स्पेस में रह सकते थे। नया अध्ययन उस डिजाइन को मॉडिफाई करता है।रेडिएशन से बचाएगा कार्बन नैनोफाइबर
यह अध्ययन सुझाव देता है कि Bennu के आकार (करीब 300 मीटर) का ऐस्टरॉइड इस प्रोजेक्ट में इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐस्टरॉइड पर बसने के लिए इंसान उसी पर मौजूद मटेरियल का इस्तेमाल करेगा। इससे लोगों को स्पेस में कम सामान लेकर जाना पड़ेगा। इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए कार्बन नैनोफाइबर से बने बैग बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इनकी मदद से ऐस्टरॉइड पर रहने वाले इंसान रेडिएशन और कॉस्मिक वेव से बच सकते हैं।from https://ift.tt/Bx23j5l
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