नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी मामले में सुनवाई करने वाले सेशन जज से कहा है कि वह इस मामले के ट्रायल को पूरा करने के बारे में टाइम लाइन बताए और उन्हें बताएं कि ट्रायल को पूरा होने में कितना वक्त लगेगा। लखीमपुर खीरी में किसान कुचल कर मारे गए थे और इस मामले में केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा और 12 अन्य आरोपी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से भी पूछा है कि वह इस मामले मे दर्ज दूसरे केस के स्टेटस के बारे में बताए। दूसरा केस एसयूवी में बैठे शख्स की हत्या से संबंधित है। आरोप है कि एसयूवी से कुचलकर ही प्रदर्शन कर रहे किसानों की मौत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि सभी पक्षकारों के हितों को बैलेंस करने की जररूत है। हमें जेल में बंद आरोपी को भी देखना है और उनके भी अधिकार हैं। मामले में चार्जशीट हो चुकी है और गवाहों और विक्टिम के अधिकार भी देखने हैं। साथ ही समाज के हित भी इस केस से जुड़े हुए हैं। आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने अडिशनल सेशन जज से दूसरे केस के चार्ज पर आर्डर के बारे में भी जानना चाहा है। सुप्रीम कोर्ट अब 11 जनवरी को आगे की सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि 6 दिसंबर को ट्रायल कोर्ट ने आशीष मिश्रा और अन्य के खिलाफ आरोप तय किए थे। मामले में हत्या, साजिश और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा चल रहा है। आशीष मिश्रा की ओर से जमानत अर्जी दाखिल की गई थी जिसका यूपी सरकार ने विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की अर्जी पर सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट से कहा है कि वह बताए कि ट्रायल पूरा होने में कितना वक्त लगेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी और पीड़ित दोनों के अधिकार में संतुलन की जरूरत है। अदालत ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि क्या आरोपी मिश्रा को अंडरट्रायल की तरह अनंतकाल तक हिरासत में रखा जा सकता है। आशीष मिश्रा की ओर से जमानत की मांग करते हुए कहा गया है कि वह घटना के वक्त घटनास्थल पर मौजूद नहीं था वहीं यूपी सरकार ने जमानत का विरोध किया है। गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 25 नवंबर को ट्रायल कोर्ट से कहा था कि वह चार्ज फ्रेम करने के लिए सुनवाई करें। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया गया था कि मामले में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और ट्रायल कोर्ट अभी तक चार्ज पर आदेश पारित नहीं कर पाया है।
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