बीजिंग: चीन में कोरोना वायरस के महाविस्फोट से हालात बहुत भयानक हो गए हैं और एक ही दिन में 3.7 करोड़ मामले सामने आए हैं। यह चीन की कुल आबादी का 17.56 प्रतिशत है। पिछले दिनों चीन के एक लीक दस्तावेज से खुलासा हुआ था कि 1 से 20 दिसंबर के बीच 24.8 करोड़ कोरोना संक्रमण मामले सामने आ गए थे। दुनिया की फैक्ट्री कहे जाने वाले चीन में हालात इतने खराब हो गए हैं कि दवाएं नहीं मिल रही हैं और जो मिल रही हैं, वे बहुत महंगी हैं। ऐसे में अब चीनी जनता भारत की शरण में पहुंच गई है और चोरी से भारत में बनी कोरोना की जेनेरिक दवाएं मंगा रही है। चीनी लोग ब्लैक मार्केट से भारत में बनी कोरोना की जेनेरिक दवाएं खरीद रहे हैं। चीन कोरोना की दो मान्यता प्राप्त एंटी वायरल दवाओं की बहुत कम आपूर्ति कर पा रहा है और उनके दाम भी बहुत बढ़े हुए हैं। यही वजह है कि कई चीनी नागरिक अवैध तरीके से भारत से सस्ती एंटी वायरल दवाएं मंगा रहे हैं। चीन में भारतीय दवाओं का आयात बैन है और उसे बेचना कानूनन एक अपराध है। चीन ने फाइजर कंपनी की Paxlovid और एक चीनी कंपनी की दवा Azvudine को मंजूरी दी है।
चीन में ट्रेंड कर रही हैं भारतीय दवाएं
ये दोनों ही दवाएं केवल सीमित अस्पतालों में ही उपलब्ध हैं। इसकी कम आपूर्ति और ज्यादा दाम की वजह से चीनी नागरिक अब भारत से इसका अवैध तरीके से आयात करा रहे हैं। चीन के सोशल मीडिया में ट्रेंड हो रहा है कि एंटी कोविड भारतीय जेनेरिक दवाएं 144 डॉलर प्रति बॉक्स में बिक रही हैं। चीनी यूजर एक -दूसरे को यह बता रहे हैं कि कैसे इसे खरीदा जा सकता है। इसके अलावा चीन के बाजार में Primovir, Paxista, Molnunat और Molnatris जैसी भारतीय जेनेरिक दवाएं भी अवैध तरीके से बेची जा रही हैं। पैक्सलोविड दवा चीन में जहां 2,980 यूआन प्रति बॉक्स की मिल रही है, वहीं भारत में बनी जेनेरिक दवा को मात्र 530 से 1600 यूआन के बीच खरीदा जा सकता है। Primovir और Paxista दवाएं पैक्सालोविड दवा का जेनेरिक वर्जन है। चीन में ऐसे दवाएं बेचना दंडनीय अपराध है और जो इसे मंगाते हैं, उन्हें भी दंड का सामना करना पड़ सकता है। इसके बाद भी चीनी जनता इसे खरीद रही है। कुछ कंपनियां तो नाम बदलकर इन्हें बेच रही हैं। चीन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि इन दवाओं से खतरा हो सकता है।दुनिया की दवाओं की फैक्ट्री है भारत
चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि जनता भारतीय जेनेरिक दवाओं को नहीं खरीदे। चीन में यह डिमांड ऐसे समय पर हुई है जब कोरोना महाविस्फोट अभी जनवरी तक जारी रह सकता है। इसकी वजह से लोग दशहत में हैं और जमकर दवाएं खरीद रहे हैं। चीन से भारत में बनी आईब्रूफेन और पैरासिटामॉल की मांग लगातार आ रही है। भारत चीन के लिए बुखार में इस्तेमाल होने वाली इन दवाओं का निर्माण बढ़ा रहा है। भारत दुनिया की दवाओं की फैक्ट्री है और यही वजह है कि चीनी जनता को भारत से आस है।from https://ift.tt/CokDFLr
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