Saturday, 3 December 2022

ट्रेन की छत पर लगे ये ढक्कन होते हैं बड़े काम की चीज, इसके बिना सफर करना हो जाएगा मुश्किल

नई दिल्ली: ट्रेन एक ऐसा साधन है, जिसमें हर स्तर का व्यक्ति सफर कर सकता है। कई लोग तो ऐसे हैं जो फ्लाइट का सफर न करके ट्रेन में यात्रा करना पसंद करते हैं। इसलिए भारतीय रेलवे को देश की लाइफलाइन कहा जाता है। भारतीय रेलवे नेटवर्क दुनिया का चौथा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यहां हजारों ट्रेनें रोजाना यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं। अगर आपने कभी ट्रेन में सफर किया है, तो नोटिस किया होगा कि हर एक बोगी की छत पर गोल-गोल ढक्कन लगे होते हैं। ट्रेन में ये ढक्कन न लगे हों तो यात्रियों की जान पर बन आएगी। आज हम आपको बताएंगे कि ये ढक्कन किस काम आते हैं।

बड़े काम के होते हैं ये ढक्कन

दरअसल, ट्रेनों की छतों पर लगे इन ढक्कनों को रूफ वेंटिलेशन (Roof Ventilation) कहते हैं। इनका काम ट्रेन के डिब्बों के भीतर से उमस या सफोगेशन को निकालना होता है। कई बार ट्रेनों में यात्रियों की भीड़ काफी ज्यादा हो जाती है। ऐसा अक्सर ट्रेनों के जनरल कोच में होता है। ऐसे में लोगों की भीड़ की वजह से सफोगेशन हो जाती है। ट्रेन में लगे ये रूफ वेटिंलेशन तब कोच के भीतर से भाप निकालने का काम करते हैं। अगर ट्रेनों में ये सिस्टम न लगाया जाए तो उसमें सफर करना मुश्किल हो जाएगा।

छतों पर ही क्यों लगाए जाते हैं वेंटिलेशन

ट्रेनों की छतों के ऊपर लगे ढक्कन ट्रेन के नजदीक से नहीं दिखते। लेकिन जब स्टेशन पर बने ओवरब्रिज से देखने पर ये साफ दिखाई देते हैं। जिस तरह ट्रेनों की छतों पर ये ढक्कन लगे होते हैं वैसे ही कोच के अंदर जाली लगी होती है, जो इससे जुड़ी रहती है। कुछ ट्रेनों के कोच में जाली की जगह छोटे-छोटे छेद बने होते हैं। आपको बता दें कि इन्हीं जालियों से ट्रेन के अंदर से उमस बाहर जाती है। अब आप सोच रहे होंगे कि भाप या उमस खिड़कियों से क्यों नहीं निकलती? दरअसल, भाप या उमस एक तरह की गर्म हवा होती है। विज्ञान के मुताबिक गर्म हवा ठंडी हवा से हल्की होती है। इसलिए ये हमेशा ऊपर की ओर उठती है। ट्रेनों की छतों पर रूफ वेंटिलेशन का काम न केवल उमस को बाहर निकालना होता है। बल्कि इनके ऊपर ढक्कन लगाने की एक और वजह भी है। दरअसल, बारिश के समय इन ढक्कनों की वजह से पानी कोच के अंदर नहीं आता। जबकि सफोगेशन आसानी से होता रहता है।

आखिरी डिब्बे पर क्यों होता है क्रॉस का निशान

इसी तरह आपने देखा होगा कि ट्रेन के आखिरी बोगी के पीछे क्रास का निशान बना होता है। इस क्रॉस के निशान का मतलब है कि ये ट्रेन का आखिरी डिब्बा है। इसे देखकर स्टेशन मास्टर समझ जाता है कि पूरी ट्रेन सही सलामत है। क्रॉस के अलावा कई बार LV लिखा होता है। इसका अर्थ है last vehicle यानी आखिरी डिब्बा। अगर स्टेशन मास्टर को ये दोनों चीजें नहीं दिखाई देती तो वो इसकी सूचना फौरन बड़े अधिकारियों को देता है।


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