शिरडी: देश और दुनिया में प्रसिद्ध शिरडी के साईं मंदिर (Sai Temple) में साईं भक्तों ने बीते साल 400 करोड़ रुपये से अधिक का चढ़ावा चढ़ाया है। श्री साई मंदिर ट्रस्ट (Sai Temple Trust) के सीईओ राहुल जाधव के मुताबिक कुल 400 करोड़ 17 लाख 64 हजार 201 रुपये बीते साल दान के रूप में प्राप्त हुए हैं। 25 दिसंबर के बाद नए साल के मौके पर ही 17 करोड़ 81 लाख रुपये से अधिक की राशि का दान (Donation) आया। नववर्ष अवसर के कुछ दिनों में आठ लाख से अधिक भक्तों ने शिरडी मंदिर में दर्शन किए। 400 करोड़ से अधिक की राशि में से 167 करोड़ 77 लाख एक हजार 27 रुपये दान पेटी में आए। दान काउंटर पर कटवाई जाने वाली रसीदों से 74 करोड़ 3 लाख 26 हजार 464 रुपये आए। ऑनलाइन पेमेंट, मनी ऑर्डर, चेक आदि से 144 करोड़ 45 लाख 22 हजार 497 रुपये की राशि दान के रूप में मिली। सोने, चांदी आदि के आभूषणों का मूल्य भी कुल दान में शामिल है। श्री साई मंदिर ट्रस्ट के पीआरओ एकनाथ गोंदकर के अनुसार, नववर्ष के अवसर पर बेंगलुरु के राजा दत्ता और शिवानी दत्ता ने 928 ग्राम सोने का मुकुट श्री साईं बाबा के लिए चढ़ाया है। इसकी कीमत 46 लाख 70 हजार 624 रुपए है। हर साल चढ़ता है करोड़ों का चढ़ावा साईं मंदिर में शिर्डी के साईं मंदिर में भक्तों द्वारा यह चढ़ावा चढ़ाने की रीत काफी पुरानी है। कोरोना काल के दौरान के दो सालों को छोड़ दिया जाए तो इस मंदिर पर भक्त अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तैयार रहते हैं। मन्नत पूरी होने पर मन्नत मांगने के लिए दूर-दूर से भक्तों का जत्था महाराष्ट्र के में आता है। हर साल यहां कई करोड़ का चढ़ावा भक्तों द्वारा चढ़ाया जाता है। साल 2014-15 की बात करें तो इस साल 316 करोड़ 91 लाख 61हजार 685 रुपए नकद स्वरूप में दान दिए गए थे। जबकि 73 लाख 41हजार 414 रुपए के सोने और चांदी के आभूषण साईं बाबा को चढ़ाए गए थे। कुल मिलाकर इस वर्ष के लिए यह आंकड़ा 324 करोड़ 65 लाख तीन हजार 99 रुपये था। वहीं साल 2015-16 के दौरान साईं मंदिर को 306 करोड़ 44 लाख 67 हजार 205 रुपये नगद स्वरूप में मिले थे। जबकि 7 करोड़ 16 लाख 15 हजार 979 रुपए सोने और चांदी के गहनों के रूप में मिले थे। इस साल के लिए यह रकम कुल मिलाकर 313 करोड़ 60 लाख 83 हजार 184 रुपये थी। साल 2016-17 के वर्ष में साईं मंदिर को 339 करोड़ 28 लाख 38 हजार 877 रूपए नकद स्वरूप में प्राप्त हुए थे। जबकि 8 करोड़ 34 लाख 10 हजार 428 रुपये सोने और चांदी के आभूषणों के रूप में प्राप्त हुए थे। उस साल यह रकम कुल 347 करोड 62 लाख 49 हजार 305 रुपये थी। जनहित में खर्च होता है पैसा भक्तों द्वारा चढ़ाए जाने वाले इस चढ़ावे का इस्तेमाल मंदिर ट्रस्ट जनहित के कामों में करता है। मंदिर ट्रस्ट में काम करने वाले हजारों कर्मचारियों की तनख्वाह के अलावा ट्रस्ट की तरफ से अस्पताल और एजुकेशन संस्थान चलाया जाता है। जिसका पूरा खर्च ट्रस्ट की तरफ से उठाया जाता है। यहां समाज के सभी वर्गों के इलाज और पढ़ाई का ध्यान रखा जाता है। मंदिर ट्रस्ट हर साल साढ़े चार सौ करोड़ रुपए इन तमाम सुविधाओं को मुहैया करवाने के लिए खर्च करता है। हालांकि, कोरोना काल में मंदिर ट्रस्ट को यह कमाई नहीं हो पाई थी। जिसकी वजह से उन्हें एफडी तोड़ने की भी नौबत आई थी। फिलहाल सब कुछ सामान्य होने पर भक्तों का जमावड़ा मंदिर में दोबारा लगना शुरू हो चुका है।
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