नीलकमल, पटना : 2024 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस तीसरी बार को लॉन्च करने की तैयारी में है। यही वजह है कि पार्टी ने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत थी। 7 सितंबर को 'भारत जोड़ो' यात्रा की शुरुआत हुई, जब राहुल गांधी ने तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र राज्यों का दौरा किया। इस दौरान मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश होते हुए जम्मू-कश्मीर पहुंची। यहीं पर राहुल गांधी ने अपनी यात्रा समाप्त की।
राहुल को 'रीलॉन्च' करने की कवायद
कांग्रेस चाहती थी कि इस यात्रा के समापन दिवस पर देश के तमाम प्रमुख दल के नेता कश्मीर में राहुल गांधी के साथ खड़े हों। हालांकि, देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के इस मुहिम को करारा झटका लगा है। राहुल गांधी की इस यात्रा में अहम बात यह रही कि ये उन राज्यों से नहीं गुजरी जहां 2022 के नवंबर दिसंबर में विधानसभा के चुनाव थे। इसके अलावा राहुल गांधी की यात्रा बिहार, झारखंड जैसे राज्यों से भी नहीं गुजरी जबकि कांग्रेस इन राज्यों में सरकार का हिस्सा है। राहुल गांधी की 150 दिनों में 3570 किलोमीटर की पदयात्रा 12 राज्यों से होकर गुजरी थी। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कांग्रेस ने यह यात्रा राहुल गांधी को रीलॉन्च करने के लिए की थी। जिससे 2024 में नरेंद्र मोदी के सामने उन्हें फिर से उतारा जाए।कांग्रेस ने 22 सियासी दलों को किया था आमंत्रित
के समापन दिवस के मौके पर कांग्रेस ने देश के 22 मोदी विरोधी राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश की थी। कांग्रेस की ओर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को न्यौता दिया। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, बीएसपी चीफ मायावती, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे समेत तमाम बड़े नेताओं को कश्मीर आने का निमंत्रण भेजा था। लेकिन बड़े राजनीतिक चेहरों ने कांग्रेस के इस निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया और राहुल गांधी के नेतृत्व में बनाए जा रहे विपक्षी एकता के मंच से दूरी बना ली। बहुजन समाज पार्टी के एक नेता वहां जरूर पहुंचे लेकिन उन्होंने भी कहा कि वह पार्टी की ओर से नहीं बल्कि मंच पर आने का फैसला उनका स्वयं का है।ममता बनर्जी की अंतिम लड़ाई
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यह कह चुकी हैं कि 2024 में बीजेपी को केंद्र की सत्ता से उखाड़ फेंकना उनका लक्ष्य है। ममता बनर्जी यह भी कह चुकी हैं कि यह उनकी अंतिम लड़ाई होगी। दरअसल ममता बनर्जी ने विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश की थी लेकिन असफल रही थीं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ममता बनर्जी की पहली इच्छा केंद्र की राजनीति में कांग्रेस को हटाकर उनकी जगह लेना है। यही वजह है कि नीतीश कुमार की ओर से विपक्षी एकजुटता को लेकर की जा रही कोशिश के बाद उन्होंने यह कहा था कि वह कल की बात थी आज नया दौर है।नीतीश ने कांग्रेस के आमंत्रण को ठुकराया और KCR ने उन्हें
इधर 2024 में केंद्र की सत्ता से बीजेपी को बाहर करने का दावा करने वाले नीतीश कुमार भी विपक्षी एकता के लिए कोशिश कर रहे। नीतीश कुमार यह कह चुके हैं कि बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के बाद वह अपनी इस मुहिम में फिर से जुटेंगे। इधर रविवार 29 जनवरी को दरभंगा में आयोजित बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में यह ऐलान कर दिया गया कि अब नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू से कभी समझौता नहीं किया जाएगा।इस पर नीतीश कुमार ने फिर कहा कि वो मरते दम तक बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी महागठबंधन को तोड़ना चाहती है। उधर, विपक्षी एकजुटता की बात है तो नीतीश कुमार ने कांग्रेस के भारत जोड़ो यात्रा के समापन दिवस के मौके पर आयोजित रैली में जाने से इनकार कर दिया। वही तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल को अपने मंच पर बुला लिया लेकिन नीतीश कुमार को दरकिनार कर दिया। दरअसल तेलंगाना के मुख्यमंत्री भी यह समझ चुके हैं कि नीतीश कुमार के अंदर 2024 में प्रधानमंत्री बनने की प्रबल इच्छा पनप रही है। जानकारों का कहना है कि इसी कारण ममता बनर्जी, केसीआर, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव जैसे नेता नीतीश कुमार से दूरी बना रहे हैं।from https://ift.tt/za4QgUn
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