Tuesday, 17 January 2023

गुजरात में जाएगी जगदीश ठाकोर की प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी, जानिए कौन-कौन दौड़ में

अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद हाईकमान जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करेगा। विधानसभा में पार्टी के विधायक दल की नेता और उप नेता के ऐलान के बाद पार्टी अब सर्जरी के मूड में जनवरी के अंत पार्टी नए अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है। पार्टी ने गुजरात विधानसभा में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अमित चावडा को विधायक दल के नेता और को उप नेता का दायित्व सौंपा है। अमित चावडा क्षत्रिय हैं, लेकिन वे ओबीसी में आते हैं। इसी प्रकार से शैलेष परमार अनुसूचित जाति से आते हैं। जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पार्टी द्वारा किसी पाटीदार को प्रदेश की कमान दिए जाने की उम्मीद है। प्रदेश अध्यक्ष के पूर्व नेता विपक्ष परेश धनाणी का नाम भी चर्चा में है। इन नामों की चर्चासूत्रों के अनुसार प्रदेश अध्यक्ष के लिए जिन नामों की चर्चा है। उनमें डॉ. जीतू पटेल, अर्जुन मोढवाडिया और दीपक बाबरिया का नाम शामिल है। अर्जुन मोढवाडिया पहले प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। डॉ. जीतू पटेल वर्तमान में के उपाध्यक्ष हैं। वे पूर्व में विधायक भी रह चुके हैं। कांग्रेस ने दिसंबर, 2021 में को प्रदेश की कमान दी थी, लेकिन जगदीश ठाकोर की अगुवाई में पार्टी सिर्फ 17 सीटों पर सिमट गई। ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखने वाले ठाकोर को बड़ी अपेक्षा के साथ पद सौंपा था, लेकिन त्रिकोणीय लड़ाई में ठाकोर बेहतर व्यूहरचना नहीं कर पाए। जगदीश ठाकोर जहां प्रदेश अध्यक्ष हैं तो वहीं सात अन्य नेता कार्यकारी अध्यक्ष हैं। इनमें अंबरीश डेर, हिम्मत सिंह पटेल, इंद्रविजय सिंह गोहिल, जिग्नेश मेवाणी, कादिर पीरजादा, ऋत्विक मकवाणा और ललित कगथरा का नाम शामिल है। 1990 के बाद सबसे कम सीटें गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 182 में सिर्फ 17 सीटें मिली थी। यह कांग्रेस का अब तक सबसे कमजोर प्रदर्शन है। इससे पहले कांग्रेस को 1990 के चुनाव में 30 सीटें मिली थीं। तो वहीं 1995 के चुनाव में 45 सीटें। इसके अलावा प्रदेश में कभी भी कांग्रेस की सीटों की संख्या 50 के नीचे नहीं गई। यह पहला मौका है जब गुजरात में कांग्रेस नेता विपक्ष का पद भी गंवा बैठी है। अब यह विधानसभा अध्यक्ष के ऊपर है कि कांग्रेस के विधायक दल के नेता को नेता विपक्ष का दर्जा देते है या फिर नहीं। क्योंकि कांग्रेस ने पहली बार 10 फीसदी से कम सीटें जीती हैं।


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