लखनऊ: बिहार सरकार के राजस्व मंत्री आलोक मेहता का विवादित बयान खासा चर्चा में है। उन्होंने भागलपुर में कहा, “जिन्हें आज 10% में गिना जाता है, वह पहले मंदिर में घंटी बजाते थे और अंग्रेजों के दलाल थे। ये जो 10% लोग हैं, उनके सामने जो आवाज उठाता था, उनकी जुबान बंद कर दी जाती थी। जो लोग 10% हैं, आने वाले समय में आरक्षण पर खतरा हैं। जिसका वोट बैंक महज दो प्रतिशत हो, वह किसी को मुख्यमंत्री कैसे बना सकता है?” फिर मामले में जब बवाल बढ़ा तो आलोक मेहता ने जो सफाई दी, उससे यूपी में सियासत गरमा गई है। दरअसल आलोक मेहता ने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। मंदिर में घंटी बजाने वाले बयान पर उन्होंने कहा कि मैंने तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी पर बोला था। वे क्या करते थे? मंदिर में पूजा ही करते थे न? वहां घंटी बजाते थे, आज सत्ता के शीर्ष पर बैठे हुए हैं। लेकिन आलोक मेहता के लिए ये सफाई भी काम आती नहीं दिख रही है। लखनऊ में चर्चाएं हैं कि अपने बयान को योगी आदित्यनाथ की तरफ मोड़कर आलोक मेहता ‘नाक घुमाकर पकड़ने की कोशिश' कर रहे हैं। पर सवाल ये उठता है कि जनता द्वारा कई बार बड़ी जीत के साथ गोरखपुर का सांसद चुने जाने वाले योगी आदित्यनाथ, जिन्होंने यूपी में बीजेपी की सरकार में मुख्यमंत्री पद संभाला तो अपने फैसलों से देश भर के सफलतम मुख्यमंत्रियों में शुमार हो गए। जिस योगी की अगुवाई में भाजपा दूसरी बार यूपी में बड़े बहुमत से सरकार बनाने में सफल रही। तो अब योगी आदित्यनाथ को अपनी काबिलियत साबित करने के लिए और कौन सी परीक्षा देनी होगी? क्या जनता द्वारा चुने गए नेता पर इस तरह की टिप्पणी करना सही है? राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बयान पर बवाल शब्दों को लेकर नहीं है, इसके पीछे आलोक मेहता की जातिगत राजनीति की सोच है क्योंकि योगी आदित्यनाथ क्षत्रिय हैं, सवर्ण हैं। हां, योगी मंदिर में पूजा करते हैं। आज भी वह प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के साथ ही गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर की भूमिका पूरी तन्मयता से निभाते हैं। लेकिन मंदिर में घंटी बजाने वाले इस शख्स ने इसके साथ ही अपने निर्णयों से देश की सियासत में अलग बड़ी लकीर खींची है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को ‘बीमारू’ छवि से ऊपर उठा रहे हैं। योगी राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक या धार्मिक किसी भी मुद्दे पर सबसे आगे खड़े मोर्चा लेते नजर आते हैं। वह हिंदुत्व का मजबूती से समर्थन करते हैं, साथ ही मदरसा शिक्षा सुधारने की भी कोशिश में लगे हैं। प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर (एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट, मेट्रो प्रोजैक्ट्स, वॉटरवेज) में नई इबारत गढ़ रहे हैं। योगी मंदिर में पूजा भी करते हैं और यूपी में निवेश आमंत्रित करने के लिए रोड शो भी। आज यूपी अकेले अरबों के निवेश हासिल कर रहा है। कानून व्यवस्था, गुंडो माफियाओं पर योगी की कार्रवाई इतनी कठोर रही है कि 5 साल में ही वह दुनिया भर में ‘बुलडोजर बाबा’ कहलाने लगे हैं। पूर्वांचल के जिलों के लिए अभिशाप बन चुकी जापानी इंसेफ्लाइटिस (दिमागी बुखार) जो हर साल बच्चों की मौतों के रिकॉर्ड तोड़ती थी। आज योगी सरकार ने इस बीमारी को मौतों के मामले में 95 प्रतिशत तक नियंत्रित कर लिया गया है। कोरोना काल में जब बड़े-बड़े ओहदेदार सोशल डिस्टेंसिंग बना चुके थे और सिर्फ ऑनलाइन ही उपलब्ध थे, उस काल में यही योगी आदित्यनाथ सड़कों पर लोगों को संभालते नजर आए। देश में वैक्सीन लगाने का अभियान चला तो योगी ने रिकॉर्ड ही बनाना शुरू कर दिया। खुद योगी मोर्च पर डटे दिखे और पूरी व्यवस्था अपने हाथ में ले रखी थी। वैक्सीन की डोज लगाने में यूपी तमाम राज्यों से कहीं आगे है। इस दौरान गरीबों को मुफ्त राशन देने की योजना को भी प्रदेश के 15 करोड़ लोगों तक पहुंचाया। योगी के शब्दों में कहें तो क्या पहले कोई सोच सकता था कि यूपी में साढ़े 45 लाख गरीबों को आवास, 2.61 करोड़ गरीबों को शौचालय, फ्री में 1.74 गरीबों को रसोई गैस कनेक्शन, 1.55 करोड़ गरीबों को विद्युत कनेक्शन मिलेगा। आज दुनिया का बड़ा निवेशक यूपी में आना चाहता है। ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट) की ब्रांडिंग करते हुए परंपरागत उद्योगों को प्रोत्साहित किया गया। एक्सपोर्ट बढ़ा। आज यूपी परंपरागत उद्यम से एक करोड़ 60 लाख रुपये का प्रोडक्ट निर्यात करता है। यूपी धीरे-धीरे एक्सपोर्ट प्रदेश बन रहा है। धार्मिक पर्यटन के मामले में उत्तर प्रदेश लगातार नई इबारत लिख रहा है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के अलावा राम मंदिर निर्माण और अयोध्या का कायाकल्प हो रहा है, मथुरा से लेकर नैमिषारण्य तक ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को पर्यटन के लिहाज से डेवलप किया जा रहा है। कुल मिलाकर योगी आदित्यनाथ का उत्तर प्रदेश आज तमाम क्षेत्रों में नई ऊंचाइयां हासिल कर रहा है। लेकिन आलोक मेहता को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वह जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि को अपने राजनीतिक चश्मे से ही देखेंगे। आलोक मेहता के बयान पर यूपी भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि वो राजनीतिक दल जिन की दुकान जाति-मजहब के समीकरणों पर चलती थी। वह बुरी तरह से घबराए हुए हैं। देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में ने जातीय मजहबी गोलबंदी को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है। घबराया विपक्ष तरह-तरह से लोगों की भावनाओं को उभारने का प्रयास कर रहा है। लेकिन लोग अब विकास के मुद्दे पर जागरूक हो गए हैं, जातीय मजहबी गोलबंदी में अब जनता नहीं उलझेगी। जातीय मजहबी जहर ने समाज का बहुत नुकसान किया है।
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