नई दिल्ली: () आज संसद में पेश किया गया। इसके साथ ही साफ हो गया कि वित्त वर्ष 2023 में देश की जीडीपी कैसी रहेगी। चीफ इकॉनमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वरन (Chief Economic Adviser V Anantha Nageswaran) ने कहा कि देश की इकॉनमी अब पूरी तरह कोरोना महामारी के असर से उबर चुकी है और अब इसके रफ्तार पकड़ने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि इस दशक के बचे हुए वर्षों में देश की इकॉनमी और बेहतर प्रदर्शन करेगी। लंबे समय बाद बैंकिंग, नॉन-बैंकिंग और कॉरपोरेट सेक्टरों की बैलेंस शीट दुरुस्त है और अब हमें महामारी से रिकवरी जैसी बातें नहीं करनी चाहिए। अब हमें इकॉनमी के अगले दौर की तैयारी करने की जरूरत है। नागेश्वरन ने इकॉनमिक सर्वे पेश होने के बाद कहा, 'पिछले आठ साल में जो सुधारवादी कदम उठाए गए हैं, उसका मतलब है कि इस दशक में भारतीय इकॉनमी बेहतर प्रदर्शन करेगी। पहले दशक में कैपिटल एक्सपेंडीचर से रोजगार पैदा हुए थे और अब एक बार फिर इसकी तैयारी हो रही है। प्राइवेट सेक्टर इनवेस्टमेंट आना शुरू हो गया है और कंस्ट्रक्शन सेक्टर भी जोर पकड़ने लगा है। लोग गांवों से शहरों की ओर लौट रहे हैं और नौकरी के अवसर बढ़ रहे हैं। इस दशक के बाकी वर्षों में इकॉनमी बेहतर प्रदर्शन करेगी। एग्रीकल्चर में निजी सेक्टर का निवेश अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। सरकार की विभिन्न योजनाओं से इसमें मदद मिली है। अब यह प्राइमरी सेक्टर नहीं रह गया है। इसमें एक्सपोर्ट की काफी संभावनाएं हैं।
आईएमएफ का अनुमान
उन्होंने कहा कि आईएमएफ ने फाइनेंशियल ईयर 2023 में भारतीय इकॉनमी के 6.8% की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान जताया है। अगले वित्त वर्ष में इसके 6.1% और 2025 में 6.8% रहने का अनुमान है। हमारा इकॉनमिक सर्वे इसकी पुष्टि करता है। हर सेक्टर में क्रेडिट ग्रोथ जोर पकड़ रहा है। एमएसएमई, लार्ज इंडस्ट्री, सर्विसेज और नॉन-फूड सेक्टर में क्रेडिट डबल डिजिट रेट से बढ़ रहा है। निजी सेक्टर में निवेश बढ़ रहा है। इस साल की पहली छमाही में यह पिछले बार की तुलना में अधिक रहा। नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस का एनपीए 15 महीने पहले की तुलना में कम हो चुका है। सीईए ने कहा कि सरकार 6.4% राजकोषीय घाटे की दिशा में आगे बढ़ रही है। अप्रैल से नवंबर 2022 तक टैक्स रेवेन्यू 15.5% की बढ़ोतरी हुई है। इस सवित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में GST रेवेन्यू के रूप में 13.40 लाख करोड़ रुपये मिले हैं। अगर आईएमएफ के अनुमानों के मुताबिक ग्लोबल इकॉनमी में सुस्ती आती है तो कमोडिटीज की कीमत में कमी आनी चाहिए। इससे महंगाई की समस्या से भी निजात मिलने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2022 में एफडीआई फ्लो 21.3 बिलियन डॉलर था, जो फाइनेंशियल ईयर 76% से अधिक था।from https://ift.tt/ZCmJLVz
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