काठमांडू: भारत और पाकिस्तान दोनों पड़ोसी और दोनों के बीच नियंत्रण रेखा (LOC) तय है। शायद इस वजह से ही भारतीय सीमाएं लांघना दुश्मन के लिए आसान नहीं हैं। लेकिन जरा सोचिए अगर नेपाल से आतंकी देश में दाखिल होने लगे तो। नेपाल के बारे में जो जानकारी आ रही है, वह भारत के लिए डराने वाली है। पाकिस्तान की तरह इस देश पर अब फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में आने का खतरा बढ़ गया है। नेपाली मीडिया की मानें तो पिछले दिनों एफएटीएफ की एशिया-प्रशांत क्षेत्र ने देश का दौरा किया है। एफएटीएफ वह संगठन है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनी-लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग पर नजर रखती है। इस टीम के दौरे के बाद लोगों चिंता है कि अगर नेपाल ग्रे लिस्ट में आ गया तो कितनी बड़ी मुसीबत पैदा हो सकती है। क्यों टीम पहुंची नेपाल एफटीएफफ की टीम का दौरा करने का मकसद यह देखना था कि नेपाल उन मानकों पर खरा उतर रहा है या नहीं, जो उसकी तरफ से तय किए गए हैं। एशिया-पैसेफिक ग्रुप (APG) यह देखेगी कि 16 दिसंबर 2022 तक नेपाल ने इस दिशा में कितनी प्रगति की है। अगर नेपाल उसकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा तो फिर उसे ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाएगा। एफएटीएफ के शब्दकोष में 'ब्लैकलिस्ट' या 'ग्रे लिस्ट' जैसे शब्द शामिल नहीं हैं। लेकिन इन शब्दों का प्रयोग अक्सर संगठन की सूची में शामिल देशों के लिए किया जाता है। क्या है ब्लैक और ग्रे लिस्ट एफएटीएफ की ब्लैकलिस्ट का मतलब उच्च जोखिम वाले देश जिन पर कार्रवाई जरूरी है। इस लिस्ट में इस समय उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार आते हैं। ग्रे लिस्ट यानी वो देश जो अपने यहां पर मनी लॉन्ड्रिंग या टेरर फाइनेंसिंग को रोकने में असफल रहे हैं। उनके पास इनसे लड़ने की कोई रणनीति नहीं है। एक बार ग्रे लिस्ट में आने के बाद इन देशों को एक तय सीमा वाला एक्शन प्लान सौंपना होता है। पहले भी आया ग्रे लिस्ट में नेपाल साल 2008 से 2014 तक एफएटीएफ ग्रे लिस्ट में था। उसके बाद उसने इस दिशा में काफी प्रगति की। साल 2008 में उसने एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में संशोधन किया था। इसके बाद नेपाल साल 2014 में इस लिस्ट से बाहर आ गया था। नेपाल राष्ट्र बैंक के एक सीनियर अधिकारी के हवाले से काठमांडू पोस्ट ने लिखा है कि ग्रे लिस्ट में आने के बाद खतरा काफी बढ़ जाएगा। देश में मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग से जुड़े कानून बनाना और फिर उसे लागू कराना अपने आप में एक चुनौती है। क्या है मुश्किल नेपाल ने ऐसे 15 कानूनों को चिन्हित किया है जिन्हें एफएटीएफ के मानकों के अनुकूल बनाना है। पीएमओ के अधिकारी धनराज ग्यावली ने कहा है कि कानूनों में संशोधन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी और कुछ हो पाता इससे पहले ही प्रतिनिधि सभा का कार्यकाल खत्म हो गया। फरवरी में एपीजी की तरफ से एक शुरुआती रिपोर्ट पेश की जाएगी और इसके बाद नेपाल अपना रुख पेश करेगा। अप्रैल में नेपाल से सवाल-जवाब किए जाएंगे और फिर एपीजी अपनी फाइनल रिपोर्ट तैयार करेगी।
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