पटना: बिहार के मौजूदा सीएम बार-बार पीएम पद की दावेदारी से इनकार कर रहे हैं। उन्होंने पिछले साल यह भी घोषणा कर दी थी कि 2025 का असेंबली इलेक्शन के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। यह तब की बात है, जब बिहार में बने सात दलों के महागंठबंधन के सबसे बड़े दल आरजेडी ने नीतीश को पूरे दमखम से पीएम पद का दावेदार बताना शुरू कर दिया था। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और निवर्तमान राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी भी नीतीश को लगातार पीएम मटेरियल बताने की होड़ लगे हुए थे। नीतीश कुमार ने ऐसी तमाम संभावनाओं पर फिलहाल विराम लगा दिया है। हालांकि सियासत की रवायत के मुताबिक कही गई किसी बात को कबूलना या उससे मुकरना अब अचरज भरी नजरों से नहीं देखा जाता। पर, वर्तमान से तो अब ऐसा ही लगता है कि वे पीएम नहीं बनेंगे। अगर नहीं बने तो फिर तेजस्वी का क्या होगा, जो इस उम्मीद में बैठे हैं कि नीतीश जी गद्दी खाली करें तो उन्हें मौका मिले।
नीतीश कुमार के पीएम बनने राह में बहुत बाधाएं
नीतीश कुमार बिहार के सीएम के रूप में अपने दो दशक पूरे करने वाले हैं। उनकी खूबी यह रही कि किसी दल के साथ बिना पूर्व गठबंधन के वे कभी चुनाव मैदान में नहीं उतरे। 2014 का लोकसभा चुनाव सिर्फ अपवाद रहा, जिसमें उन्हें अपनी असल औकात का भी अंदाजा लग गया। उन्हें बिहार की कुल 40 सीटों में सिर्फ दो पर ही कामयाबी मिली थी। विधानसभा का चुनाव तो कभी उन्होंने अपने दम पर लड़ने की हिम्मत ही नहीं जुटाई। उनकी खूबी यह भी रही कि कभी खुद के बूते सरकार बनाने लायक सीटें नहीं जीतीं, लेकिन लगातार 18 साल से सीएम की कुर्सी पर जमे हुए हैं। पहले बहुमत नहीं मिलने पर कम से कम विधानसभा में बड़ी पार्टी के नाते सहयोगी उन्हें सीएम की कुर्सी सौंपते रहे। हद तो तब हो गई, जब असेंबली में सीटों के लिहाज से तीसरे नंबर की पार्टी होने पर उन्होंने सीएम की कुर्सी पर बैठना कबूल कर लिया। सहयोगी दल उन्हें इशारों-इशारों में नैतिकता का एहसास कराने लगे तो उन्होंने पार्टनर ही बदल लिया। एनडीए छोड़ उन्होंने महागठबंधन के साथ जाना पसंद किया।क्या 16 सीटों पर नीतीश को मिल पाएगी दोबारा जीत ?
नीतीश कुमार की पलटी मार राजनीति और शराबबंदी जैसे कुछ नीतिगत फैसलों से उनका बना-बनाया जनाधार भी खिसकता रहा। महिलाओं को पंचायतों से लेकर नौकरियों तक आरक्षण बढ़ा कर और बालिकाओं को साइकिल, पोशाक व प्रोत्साहन राशि देकर नीतीश ने आधी आबादी में अच्छी पैठ तो बना ली थी, लेकिन शराबबंदी उनके गले की हड्डी बन गई। जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला शुरू हो गया। चोरी-छिपे शराब के आदी पीते हुए पकड़ाए तो उन्हें जेल भेज दिया गया। ताड़ी-शराब के धंधे में लगे लोग बेरोजगारी से बचने और घर चलाने के लिए शराब के अवैध धंधे में जुटे तो उन्हें लालघर जाना पड़ा। तकरीबन पांच लाख पुरुष शराब की वजह से जेलों में बंद हैं। उनके परिवारों की हालत का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। नाराजगी की एक वजह ताजातरीन शिक्षक नियुक्ति नियमावली है। बड़े पैमाने पर नियोजित शिक्षक और टेट-सीटेट पास किए शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों में नियमावली के प्रावधानों पर भारी गुस्सा है। ऐसे में पिछली बार बीजेपी का पार्टनर बन कर लोकसभा चुनाव में 16 सीटें जीतने वाले नीतीश कुमार क्या इस बार उतनी सीट जीत पाएंगे ? अगर जीत भी गए तो इतनी सीटों वाले किसी नेता को दूसरे दल क्या प्रधानमंत्री मानने को तैयार होंगे ? ऐसे में पीएम पद की दावेदारी से उनके इनकार का मायने तो समझ में आ ही जाता है।नीतीश का घर जलाने के लिए एक चिराग ही काफी
नीतीश कुमार के जनाधार की सच्चाई तो तभी उजागर हो गई थी, जब चिराग पासवान की वजह से जेडीयू को तीसरे नंबर की पार्टी बनने की नौबत आई। चिराग ने असेंबली इलेक्शन में जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ अपने कैंडिडेट उतार दिए। चिराग की पार्टी को किसी सीट पर जीत नहीं मिली, लेकिव वोटकटवा बन कर उन्होंने जेडीयू की खटिया जरूर खड़ी कर दी। जेडीयू के खाते में महज 43 सीटें ही आईं। अब तो नीतीश ने अपनी ही पार्टी के कई साथियों को खुद के खिलाफ दुश्मन बना कर खड़ा कर लिया है। उपेंद्र कुशवाहा, आरसीपी सिंह उनके पुराने लवकुश-समीकरण को ध्वस्त करेंगे तो चिराग आशियाना ही भस्मीभूत कर सकते हैं। नीतीश यकीनन इससे अनजान नहीं होंगे।RCP की भविष्यवाणी- न PM बनेंगे, न CM ही रहेंगे
नीतीश कुमार के स्वजातीय और लंबे से उनके बेहद करीबी रहे आरसीपी सिंह तो अब उनके दुश्मन दल बीजेपी में शामिल हो गए हैं। कुशवाहा के बीजेपी के नेतृत्ववाले एनडीए का हिस्सा बनने की औपचारिक घोषणा बाकी है। आरसीपी तो साफ कहते हैं कि नीतीश कुमार पीएम तो बन ही नहीं पाएंगे, बिहार के सीएम की कुर्सी भी उनके हाथ से निकलने वाली है। वे विपक्ष को गोलबंद करने की लाख कोशिश करें, इसमें भी उन्हें कामयाबी मिलने वाली नहीं। ऐसे में उनके सामने राजनीतिक संन्यास के अलावा कोई चारा नहीं।रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्कfrom https://ift.tt/L7R4p2A
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