लंच का समय है और शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के पास भीड़ लगी है। भूपिंदर सिंह 25 रुपये में एक मोबाइल वैन से चावल, करी और राजमा बांट रहे हैं। यहां खाना खा रहे बेहद कम लोगों को पता है कि यह 'जेल का खाना' है। भूपिंदर सिंह अपना अनुभव सुनाते हुए कहते हैं, 'जब हम उन्हें बताते हैं कि वे सजायाफ्ता हैं तो उनका सवाल होता है कि आपको बाहर कैसे छोड़ा ?'from Navbharat Times https://ift.tt/2NRQP2Y
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