सरकार के एक पैनल का कहना है कि जाति-धर्म, पासवर्ड, सेक्शुअल प्रिफरेंस, आधार और टैक्स डीटेल, यह सब 'संवेदनशील पर्सनल डेटा' है और बिना स्पष्ट सहमति के इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में बनीfrom Navbharat Times https://ift.tt/2mNasg3
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