हर साल छह दिसंबर के पहले मुझे झकझोरा जाता है। मेरी सीमाओं की घेराबंदी हो जाती है। लोग तरह-तरह के नारे लगाते हैं। मैं सहम जाती हूं। एक तरफ श्रीराम की जयजयकार होती है तो दूसरी तरफ मेरे अपने ही मातमपुरसी करते हैं। हैं तो दोनों ही मेरे अपने।from Navbharat Times https://ift.tt/2DJIxqX
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