बॉम्बे हाई कोर्ट ने तलाक के बाद मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता, मेहर और प्रॉपर्टी में हिस्सा देने का आदेश दिया। साथ ही यह भी कहा कि मुस्लिम मैरेज ऐक्ट 1939 के तहत इन राहत के लिए अगर कोर्ट के अधिकार का जिक्र नहीं है तो भी यह नहीं कहा जा सकता है कि कोर्ट के पास ऐसे अधिकार हैं ही नहीं।from Navbharat Times https://ift.tt/2vyOvFK
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