फिल्मों में आपने कई बार ऐसा सीन देखा होगा कि हाथी हीरो के साथ कई तरह की कलाबाजी और करतब दिखाते हैं. लेकिन यहां पर रील नहीं बल्कि रियल लाइफ का सीन चल रहा है. ये हाथी दुधवा नेशनल पार्क के बेस कैंप के हैं. यहां एक-दो नहीं बल्कि दस-दस गजराज की हिंदी में पाठशाला चल रही है. यहां पर नकुल, भास्कर, पार्वती और डायना जैसे कई हाथी और हथिनी हैं. कर्नाटक से लाए गए ये सभी हाथी जंगल सफारी के गुर सीख रहे हैं. ये हाथी केवल कन्न्ड़ भाषा समझते हैं, जिसके कारण ट्रेनिंग दे रहे महावतों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यहां के महावत हाथियों को हिंदी में ट्रेनिंग दे रहे हैं. महावतों की मेहनत भी धीरे-धीरे रंग ला रही है और अब ये हाथी हिंदी में महावत की कमांड को समझने लगे हैं. दुधवा नेशनल पार्क में बीते सालों में हुई कई हाथियों की मौत के कारण इनकी संख्या में काफी कमी आई है. उसी की भरपाई के लिए इन हाथियों को खासतौर से कर्नाटक से लाया गया है. ये हाथी रोज सुबह अपनी ट्रेनिंग की पाठशाला में जाते हैं. जिसमें उन्हें सबकुछ हिंदी में सिखाया जाता है. दिनभर कड़ी ट्रेनिंग के बाद शाम होते-होते ये हाथी थक कर चूर हो जाते हैं. जिसके बाद महावत इनके शरीर की तेल से मालिश करते हैं और उसके बाद खाना देते हैं. जब महावत इन्हें हिंदी में कमांड के लिए पूरी तरह ट्रेन्ड कर देंगे, तब इन्हें जंगल की पेट्रोलिंग का जिम्मा सौंपा जाएगा और साथ ही ये हाथी सैलानियों को अपने ऊपर बैठाकर जंगल की सैर भी कराएंगे.
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