Sunday 29 April 2018

व्हॉट्सएप डाटा को फेसबुक से नहीं करना चाहते हैं शेयर, तुरंत अपनाएं ये तरीके

व्हॉट्सएप डाटा को फेसबुक से नहीं करना चाहते हैं शेयर, तुरंत अपनाएं ये तरीके

फेसबुक की स्वामित्व वाली कंपनी व्हॉट्सएप यूजर्स के डाटा को फेसबुक से शेयर करती है। व्हॉट्सएप ऐसा इसलिए करता है ताकि फेसबुक पर आपको दिखने वाला विज्ञापन आपकी पसंद के मुताबिक हो। लेकिन हाल ही में हुए डाटा लीक मामले में फेसबुक को दुनियाभर के यूजर्स से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में हम आपको बताएगे कि कैसे अपने व्हॉट्सएप डाटा को फेसबुक से शेयर करने से रोकें,
पहला विकल्प
जैसे ही आप व्हॉट्सएप एप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करने के बाद खोलते हैं, आपको व्हॉट्सएप के टर्म्स ऑफ सर्विस और प्राइवेसी पॉलिसी को Agree करने का विकल्प दिखाई देता है। लेकिन यहां आपको ध्यान देना होगा। Agree ऑप्शन पर टैप करने के बाद read more ऑप्शन पर टैप करें। ऐसा करने पर स्क्रीन के नीचे आपको एक विकल्प दिखाई देगा, जिसके सामने Tick(टिक) का निशान लगा होगा। इस टिक के निशान को हटा दें। ऐसा करने पर व्हॉट्सएप आपकी जानकारी को फेसबुक के साथ साझा नहीं करेगा। ये विकल्प उन लोगों के लिए है, जो पहली बार व्हॉट्सएप पर लॉग इन कर रहे हैं।

दूसरा विकल्प
ये विकल्प तब के लिए है, जब आपने पहले से ही व्हॉट्सएप के टर्म्स और पॉलिसीज को मान लिया हो। अब इस टर्म्स और पॉलिसीज को बदलने के लिए आपको हमारे बताए हुए तरीके को अपनाना होगा। याद रखें कि ये तरीका 30 दिनों तक ही काम करेगा।

अपने व्हॉट्सएप की Settings में जाएं। यहां आपको Account ऑप्शन दिखेगा, इस पर टैप करें। इसके बाद आपको Share my account info in the app आप्शन दिखेगा जिसके सामने टिक लगा होगा। इस टिक को हटा दें।
कैटेगरी
फेसबुक या अन्य किसी भी प्लेटफॉर्म पर जब आप लॉग इन करते हैं, तो आपकी कई जानकारियों को संबंधित प्लेटफॉर्म, विज्ञापनदाताओं के साथ साझा करता है। आपकी जानकारियों के मुताबिक एडवरटाइजर्स आपको कई श्रेणियों में बांटतें हैं। इन श्रेणियों में आपकी आदतों, पसंद और खरीदारी के आधार पर आपको डाला जाता है। इस प्रणाली से विज्ञापनदाता आपको टारगेट करते हैं।
डायनेमिक्स एड
फेसबुक ने हाल में एक नए तरफ की विज्ञापन प्रणाली को शुरू किया है। इस प्रणाली में उन यूजर्स को टारगेट किया जाता है जो किसी सामान में अपनी रूची को जाहिर कर चुके होते हैं। डायनेमिक्स एड में रीटारगेटिंग(Retargeting) तरीके का इस्तेमाल किया जाता है, जो कई बार यूजर्स के लिए परेशानी का सबब भी बन जाता है।
आसान भाषा में समझाएं तो मान लीजिए आपने एक पर्स ऑनलाइन वेबसाइट पर देखा। अब आपको पर्स पसंद आया कि नहीं या आप उसे खरीदना चाहते हैं कि नहीं ये जाने बिना विज्ञापन का एल्गोरिथ्म ऐसा सेट होता है कि अब उसी पर्स को विज्ञापन आपको दूसरी वेबसाइट्स पर दिखने लगेगा। डायनेमिक एड इस प्रणाली को एक कदम ऊपर ले जाते हुए आपको उसी पर्स पर 10 फीसदी डिस्काउंट जैसे कूपन दिखाने लगेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियां इन विज्ञापन के जरिए तीन गुना तक का रेवेन्यु जनरेट कर लेती हैं।
कस्टम ऑडियंस
इस प्रणाली में एडवरटाइजर उन यूजर्स को टारगेट करते हैं जो पहले ही उनके किसी प्रोडक्ट को खरीद चुके हों या फिर उनके वेबसाइट्स पर आ चुके हों। इस प्रणाली में एडवरटाइजर्स डाउनलोड किए गए एप्स या फिर आपके ईमेल आईडी के जरिए आप तक पहुंचते हैं। उदाहरण के लिए, मान लिजिए आपने नेटफ्लिक्स का सब्सक्रिप्शन ले रखा है, ऐसे में जब आप फेसबुक पर लॉग-इन करेंगे तो आपके नेटफ्लिक्स पर आने वाले दूसरे कार्यक्रम का विज्ञापन देखने को मिल सकता है। या आपने घड़ी खरीदने के लिए किसी वेबसाइट्स या एप में अपनी ई-मेल आईडी का इस्तेमाल किया है, तो आपको अपने मेल में उसी घड़ी से संबंधित दूसरे प्रोडक्ट्स के एड दिखेंगे। इस प्रणाली का फेसबुक पर काफी इस्तेमाल होता है, जिसकी मदद से विज्ञापनदाता दूसरे देशों में आसानी से अपनी ऑडियंस को खोज पाते हैं।

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