Monday, 26 June 2023

कतब आई त कस दब रह गई कहन लकन फर फलम बन त हल दय दमग कई सल बद भ जहन म बस ह य कहनय

मुंबई. 1895 में जब पहली बार फ्रांस के भाइयों लुइस और अगस्टे लुमीरे ने पहली बार पर्दे पर फिल्म दिखाई तो लोग भौंचक्के रह गए. इससे पहले करीब 200 साल तक किताबें ही कहानियों का एक बड़ा साधन हुआ करती थीं. सिनेमा के आने के बाद कहानियों में एक और कला का मिलन हो गया और फिल्मों की दुनिया खड़ी हो गई. फिल्मों की तरह हर साल सैकड़ों बेहतरीन कहानियों से रंगीन किताबें छपती हैं. लेकिन किताबों की पहुंच फिल्मों से कोसों दूर है. लेकिन कला से भरे डायरेक्टर्स की नजर में किताबों में छपी कहानियां लोगों ने पर्दे पर देखीं. हम आपको बताते हैं ऐसी ही 5 बॉलीवुड फिल्में जो वास्तव में किताब में छपीं. लेकिन जब इन कहानियों पर फिल्म बनी तो इनका संदेश दूर दराज तक पहुंचा.

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