‘ए मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी’ को जब भी सुना जाता है जितना लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को याद किया जाता है, उतना ही कवि प्रदीप (Kavi Pradeep) को याद किया जाता है. लगभग एक महीने से बीमार चल रहीं लता मंगेशकर के जीवन के आखिरी दिन को विधाता ने उस दिन तय किया जब इस गाने के रचयिता कवि प्रदीप की जयंती है. देश प्रेम और देशभक्ति से भरी भावनाओं को सुंदर शब्दों में पिरोकर लोगों तक पहुंचाने वाले कवि प्रदीप 6 फरवरी 1915 में जन्में थें.
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अजीब संयोग है, कवि प्रदीप आज ही के दिन जन्में और लता मंगेशकर ने दुनिया से ली विदा!
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