पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और मोहन भागवत के भाषण में संघ अपने लिए एक मौका देख रहा है। पूर्व राष्ट्रपति के संघ कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर काफी घमासान हुआ, लेकिन भागवत ने अपने भाषण में असहिष्णुता के विवाद को अलग अर्थ देने की कोशिश की। भागवत ने वैचारिक मतभेग और अनेकता में एकता की बात दोहराई।from Navbharat Times https://ift.tt/2xVJBXP
0 comments: