भारतीय सेना के जाबांज केवल दुश्मनों को ही मुंहतोड़ जवाब नहीं देते, ये वो हुनरमंद हैं, जो हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाते रहते हैं. जी हां, सेना के अफसर अखिल सिंह ने इस बात को सिद्ध कर दिखाया है. उन्होंने आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों की मदद से तैयार किया है सोलर फ्रिज. अखिल सिंह ने धूप से चलने वाले इस फ्रिज को सीमा के रक्षकों के लिए बनाया है. आईआईटी कानपुर के कैंपस में खड़ा ये ठेला कोई मामूली ठेला नहीं है, बल्कि ये एक पोर्टेबल रेफ्रिजरेशन कार्ट है. जिसे सेना के अफसर ने आईआईटी कानपुर के रेफ्रिजरेशन एंड एयर कंडीशनिंग लैब में साइंटिस्टों के साथ मिलकर बनाया है. सोलर एनर्जी से चलने वाले इस रेफ्रिजरेशन कार्ट को बनाने वाले मेजर अखिल सिंह का कहना है कि ये फ्रिज पहाड़ों पर सीमाओं की रक्षा में लगे सैनिकों और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों के लिए तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि ये मोबाइल रेफ्रिजरेटर कार्ट पूरी तरह सौर उर्जा से चलता है. कार्ट में सोलर पैनल, बैटरी, एक डीसी ऑपरेटर कंप्रेसर, चार्ज कंट्रोलर और एनर्जी मीटर लगे हुए हैं. इस रेफ्रिजरेटर की कैपेसिटी फिलहाल 240 लीटर है और इसका तापमान माइनस 12 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है. सूरज की रोशनी न होने पर भी इस फ्रिज में 24 घंटे से ज्यादा की बैट्री बैकअप भी है. फ्रिज का इंसूलेशन सिस्टम 4-5 दिन तक चीजों को खराब होने से बचाएगा. इसकी बनावट ऐसी है कि इसे किसी भी जगह पर बड़ी आसानी से ले जाया जा सकता है. इस फ्रिज को बनाने में करीब 50 हजार रुपए खर्च होते हैं. इस फ्रिज का इस्तेमाल देश की सीमा पर दुर्गम इलाकों में किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर के रहने वाले मेजर अखिल सिंह को गृह मंत्रालय ने पिछले साल ही आईआईटी कानपुर में एमटेक करने के लिए भेजा था. अखिल ने इस फ्रीज को तब बनाने के बारे में सोचा था, जब उनकी टीम दुर्गम इलाके में तैनात थी. जहां गांव वालों को कोल्ड चेन वाली दवाएं लेने दूर जाना पड़ता था. मेजर अखिल सिंह की यो कोशिश बेमिसाल है और उम्मीद है कि जल्द से जल्द ये फ्रिज सरहद पर वैसे इलाकों में नजर आएंगे, जहां बिजली के आभाव में दवाइयां और दूसरी जरूरी चीजें रखने की व्यवस्था नहीं है.
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